गृहमंत्रालय के ये आंकड़े बताते हैं कि यूपी में योगी पूरी तरह से फेल हो गए

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These statistics of the Home Ministry show that the Yogis failed completely in UP

2017 से पहले अखिलेश सरकार को जंगलराज कहने वाले योगी आदित्यनाथ अब जब सीएम हैं तो फेलियर साबित हुए हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के ताजा आंकड़े बताते हैं कि दो साल में अपराध के हर क्षेत्र में यूपी अव्वल रहा है.

देश में अपराध का ब्योरा रखने वाली देश की एक संस्था है एनसीआरबी जिसे नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी कहते हैं. ये संस्था देश में भर में राज्यवार अपराध के आंकड़े जारी करती है. अबकी बार जो आंकड़े आए हैं उसने ये बता दिया है कि अपराध संभालने के मामले में योगी आदित्यनाथ बतौर सीएम फेल हो गए है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की स्थापना साल 1986 में अपराध और अपराधियों की सूचना के संग्रह और स्रोत के रूप में की गई थी जिससे कि अपराध को अपराधियों से जोड़ने में खोजकर्ताओं को सहायता मिल सके. यह संस्था देश के गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है.

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. 2017 में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए. जो 2015 और 2016 से काफी ज्यादा हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल बढ़ोत्तरी हुई है. 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज हुए थे.

महिलाओं के खिलाफ अपराधों में पहले नंबर पर यूपी है और दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है. इन दोनों राज्यों में महिलाओं की हत्या, उनके साथ बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले जैसे मामले बढ़े हैं. इस तरह के अपराधों के आंकड़ों को अगर समझें तो उत्तर प्रदेश में 56,011 जबकि महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए. ये मामले इसलिए भी हैरान करते हैं क्योंकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है जो महिला सुरक्षा की बात करती है.

सोमवार को राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के ये आंकड़े जारी किए गए. वैसे तो ये 2017 के आंकड़े हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ के लिए ये अहम इसलिए भी है क्योंकि इसी साल सीएम बनने के बाद उन्होंने महिला सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए थे और पुलिसिया तंत्र को मजबूत किया था. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख केस दर्ज हुए, जो कि 2016 की तुलना में 3.6 फीसदी ज्यादा हैं. इस दौरान हत्या के मामलों में 3.6 फीसदी की कमी आई है जबकि अपहरण के मामले 9 फीसदी इजाफा हुआ.

ये आंकड़े यूपी के लिए सोचने वाली स्थिति पैदा करते हैं. क्योंकि इनके मुताबिक देश में कुल अपहरण के मामलों में 21 फीसदी यूपी से हैं. 2016 में जहां चार हजार अपहरण के मामले थे वो 2017 में 19,921 हो गए. इस मामले में भी यूपी के बाद महाराष्ट्र का ही नंबर है. तीसरे नंबर पर बिहार है. खास बात यह है कि इस मामले में पांचवें नंबर पर आने वाली राजधानी दिल्ली में अपहरण के मामलों में कमी आई है. यहां 2016 में 6,619 अपहरण के मामले सामने आए थे जो 2017 में घटकर 6,095 रह गए.

सिर्फ महिलाओं की बात नहीं है यूपी बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी नंबर एक पर है. दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, तीसरे पर महाराष्ट्र, चौथे पर दिल्ली और पांचवें नंबर पर छत्तीसगढ़ है. पूरे देश में भी बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है.

वहीं अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इन आंकड़ों के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट प्रकाशित की है. अखबार के मुताबिक एनसीआरबी ने अपने पूर्व अध्यक्ष ईश कुमार के नेतृत्व में आंकड़ों को एकत्रित करने की प्रक्रिया में बदलाव किया था, जिसमें उन्होंने कुछ नई श्रेणियां जोड़ी थीं. इस प्रक्रिया में भीड़ हत्या यानी लिंचिंग और धार्मिक कारणों से की गई हत्या को अलग सूची में रखा गया था लेकिन सोमवार को जब रिपोर्ट जारी की गई तो उसमें इन श्रेणियों के अपराध नदारद मिले.

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