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महाराष्ट्र में राजनीति के लिए ‘खून के रिश्तों’ के खिलाफ लड़ रहे नेता

Leaders fighting against 'blood relations' for politics in Maharashtra

महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी के बीच कुछ सीटें ऐसी हैं जिनपर नेता अपने ही खून के रिश्तों के खिलाफ मैदान में हैं. कहीं चाचा भतीजा आमने-सामने मैदान में हैं तो कहीं भाई-बहन. इसके चलते चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. चुनावी बिसात पर एक-दूसरे को मात देने की कोशिश में जुटे इन परिवारों के सदस्यों की किस्मत का फैसला 24 अक्टूबर को होगा.

राजनीति में अपना पराया कुछ नहीं होता. यहां जीत ही सर्वोपरि है और यही कारण है कि महाराष्ट्र में कुछ विधानसभा ऐसी हैं जहां पर लड़ाई अपनों में है. यहां चुनाव लड़ रहे कई प्रमुख उम्मीदवारों के बीच खून का रिश्ता है या वो एक ही परिवार से आते हैं. इन उम्मीदवारों के राजनीति विचार अलग हैं. 21 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में ये नेता अलग अलग पार्टियों से मैदान में उतरे हैं. राजनीति में पहले भी ऐसा कई बार हुआ जब एक ही परिवार के दो नेताओं ने अपनी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकी है. चुनावी समर में इन रिश्तेदारों की अदावत देखकर कोई इन्हें दुश्मन ही समझेगा लेकिन ये सिर्फ सार्वजनिक राजनीतिक क्षेत्र तक सीमित है, अन्यथा उनके पारिवारिक संबंध निजी तौर पर एकदम सामान्य हैं.

महाराष्ट्र में मुंडे परिवार भी उन्हीं परिवारों में शामिल है जिसके सदस्य एक दूसरे के खिलाफ मैदान में है. इस परिवार के दो सदस्य बीड में एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. यह क्षेत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे का गढ़ है. उनकी बेटी और महाराष्ट्र सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे परली सीट से बीजेपी की टिकट पर मैदान में हैं. पंकजा के मुकाबले उनके चचेरे भाई विधान परिषद में विपक्ष के नेता एमएलसी धनंजय मुंडे हैं. धनंजय एनसीपी के उम्मीदवार हैं. पंकजा अपने चचेरे भाई को 2014 के चुनाव में हरा चुकी हैं. बीड की दूसरी सीट पर चाचा-भतीजे आमने-सामने हैं. यहां से जयदत्त क्षीरसागर अपने भतीजे संदीप क्षीरसागर के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं.

गेवराई (बीड) में एक पंडित परिवार से संबंध रखने वाले चाचा-भतीजा एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. एनसीपी ने अमरसिंह पंडित को मैदान में उतारा है, जबकि उनके चाचा बादामराव पंडित निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे ही लातूर की निलंगा सीट पर भी एक ही परिवार के सदस्य एक कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं. यहां पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव निलंगेकर पाटिल के बेटे अशोक निलंगेकर पाटिल कांग्रेस के टिकट पर अपने भतीजे एवं महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री संभाजीराव निलंगेकर पाटिल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. संभाजीराव बीजेपी उम्मीदवार हैं. गढ़चिरौली में भी चाचा भतीजे की जंग है. नक्सल प्रभावित जिले में एनसीपी ने धर्मराव बाबा अत्रम और बीजेपी ने उनके भतीजे एवं मंत्री अंबरीशराव अत्रम को टिकट दिया है.

पुसद (यवतमाल) में दिवंगत वसंतराव नाईक के पोते इंद्रनील नाईक कांग्रेस की ओर से चुनावी मैदान में हैं जबकि उनके भतीजे निलय नाईक बीजेपी की ओर से चुनाव मैदान में हैं. इतना ही नहीं महाराष्ट्र की लातूर जिले में पूर्व सीएम विलासराव देशमुख के दोनों बेटे अमित और धीरज कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों भाइयों की विधानसभा सीटें एक-दूसरे के आसपास हैं. लातूर शहर विधानसभा से जहां अमित मैदान में हैं. वहीं, उनके भाई धीरज लातूर ग्रामीण सीट से चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं. आपको बता दें कि ये दोनो अभिनेता रितेश देशमुख के भाई हैं. रितेश देशमुख भी अपने भाइयों को चुनाव प्रचार करने के लिए मैदान में उतरे हैं.

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