अयोध्या में क्या होगा ये तय हो चुका है!

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What is going to happen in Ayodhya?

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की विवादित जमीन को लेकर आखिरी सुनवाई के बाद क्या होगा? क्या ये बात सही है कि विवादित जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा छोड़ दिया है? क्या अब अयोध्या में राम मंदिर को लेकर चल रहा 134 साल पुराना विवाद खत्म हो गया है?

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कर दिया है कि वो अब अयोध्या विवाद को ज्यादा दिन लटका नहीं सकता. 17 नवंबर को वो रिटायर होने से पहले ही 134 साल पुराने इस विवाद को हल करना चाहते हैं. इश मामले में सुनवाई आज पूरी हो रही है और इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने के लिए बनी समिति ने भी आज ही अपना ‘सेटलमेंट डॉक्यूमेंट’ सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है. आखिरी सुनवाई शुरु होने से पहले अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम पांच बजे तक सुनवाई पूरी कर लेंगे. अब बहुत हो गया.’

चीफ जस्टिस के इस बयान का मतलब ये है कि 134 साल पुराने इस विवाद पर जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर होने से पहले फैसला सुना देंगे. पहले उन्होंने कहा था कि किसी भी हाल में इस मुद्दे पर सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने छह अगस्त से इस पर सुनवाई शुरू की थी. यानी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का 40वां दिन है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कोशिश की थी कि मामला बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाए. इसके लिए उसने एक मध्यस्थता समिति भी बनाई थी.

तीन सदस्यों की इस समिति की कोशिशें कामयाब नहीं हो सकीं. इस समिति की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे थे. इसके बाकी दो सदस्य थे आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू. आखिरी सुनवाई से पहले इस मामले तब एक नया मोड़ आ गया जब एक पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अनुरोध पर बीते महीने बातचीत से मामला सुलझाने की कोशिश फिर शुरू हुई थी. अब इसमें क्या हुआ ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन आज ही इस समिति ने अपना एक ‘सेटलमेंट डॉक्यूमेंट’ सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है.

खबर ये भी है कि वरिष्ठ पत्रकार और द टाइम्स ऑफ इंडिया के एसोसिएट एडिटर धनंजय महापात्रा दावा कर रहे हैं कि उनके मुताबिक दो पक्षकारों – राम जन्मस्थान न्यास और राम लला विराजमान ने बातचीत की इस पहल में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन दूसरे पक्षकारों या कहा जाए तो सुन्नी वक्फ बोर्ड में एक मोटी सहमति बन गई है कि विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को दे दी जाए. कानून संबंधी मामलों को नियमित रूप से कवर करने वाले धनंजय महापात्रा के लिए मुताबिक वक्फ बोर्ड की शर्त है कि मुसलमानों को एक नई मस्जिद बनाने के लिए पर्याप्त जमीन दी जाए और इसके निर्माण के लिए भी सरकार पैसा दे.

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कुल मिलाकर अयोध्या विवाद निपटारे की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि सूत्रों के हवाले से ये भी खबर मिल रही है कि मुस्लिम पक्षकारों की यह भी मांग है कि धार्मिक स्थल अधिनियम 1991 को लागू किया जाए. इसमें यह प्रावधान है कि दूसरे धार्मिक स्थलों पर 1947 वाली स्थिति कायम रहे. संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है. 2010 में आए इस फैसले में हाई कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच जमीन को बराबर हिस्सों में बांटने को कहा था.

चुंकि हाईकोर्ट के निर्णय से तीनों पक्ष संतुष्ट नहीं थे लिहाजा ये तीनों सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गए. इस मामले में फैसले के खिलाफ कुल 14 याचिकाएं दायर हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय देगा ये बहुत जल्द पता चलेगा लेकिन उससे पहले देश का माहौल गर्माया हुआ है. अयोध्या में धारा 144 लगा दी गई है और हर छोटी बड़ी गतिविधि पर नजर रखी जा रही है.

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