भारत में जन्मे अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्टेयर ड्युफ़लो के अलावा इस बार माइकल क्रेमर को 2019 के अर्थशास्त्र का नोबेल सम्मान दिया गया है. अभिजीत ने नोबेल जीतने के बाद कहा कि भारत में अर्थव्यवस्था के मोर्चे मोदी सरकार बुरी तरह फेल हो गई है.
अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी ड्युफ़लो अमरीका की मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में प्रोफ़ेसर हैं. दोनों ने गरीबी के अर्थशास्त्र को समझा और दुनिया में गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम किया. उनके और उनकी पत्नी के इसी काम की वजह से उन्हें 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल दिया गया. अभिजीत बनर्जी ने कांग्रेस को ‘न्याय योजना’ योजना का आइडिया दिया था. ये वही योजना है जिसके जरिए कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतने की दावा कर रही थी. हालांकि भारत के लोगों ने न्याय योजना को पसंद नहीं किया. लेकिन अभिजीत बनर्जी जिन्होंने न्याय योजना के बारे में कांग्रेस को राय दी थी उनके आइडिया कई देशों ने अपनाए हैं और हजारों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला. भारतीय अर्थव्यवस्था पर पूछे गए सवाल के जवाब में बनर्जी ने कहा,
”मेरी समझ से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ही ख़राब है. एनएसएस के डेटा देखें तो पता चलता है कि 2014-15 और 2017-18 के बीच शहरी और ग्रामीण भारत के लोगों ने अपने उपभोग में भारी कटौती की है. सालों बाद ऐसा पहली बार हुआ है. यह संकट की शुरुआत है.”
अभिजीत बनर्जी ने नोबेल सम्मान की घोषणा होने के बाद एमआईटी में बनर्जी अपनी पत्नी के साथ पत्रकारों के सवालों के जवाब दिया. इसी दौरान उन्होंने एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि भारत में अर्थव्यवस्था की हालत क्यों खराब है. उन्होंने कहा कि बहुत बुरी स्थिति है. भारत में लोग अभावग्रस्तता के कारण उपभोग में कटौती कर रहे हैं और गिरावट जिस तरह से जारी है उससे लगता है कि इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता. आपको बता दें कि बनर्जी और डुफलो एमआईटी के अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफ़ेसर हैं. इन दोनों की शादी 2015 में हुई थी. अभिजीत बनर्जी भारत में भी कई रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.
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प्रेस कॉन्फ्रैंस के दौरान अभिजीत ने सवालों का जवाब अपनी मातृभाषा बांग्ला में भी दिया. उनकी पत्नी ड्युफ़लो फ़्रांस की हैं और उन्होंने भी अंग्रेज़ी के अलावा फ़्रेंच में जवाब दिया. अभिजीत बनर्जी ने भारत में डेटा संग्रह के तरीकों में हुए विवादित बदलाव पर भी अपनी बात रखी. अभिजीत बनर्जी ने कहा कि सरकार के डेटा संग्रह में कई खामियां हैं इसलिए वो संदेह के दायरे में है. जीडीपी ग्रोथ और राजस्व घाटे का जो डेटा दिखाती है वो असल डेटा नहीं है.