पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तीसरी बार चीन गए. उनका चीन दौरा ऐसे समय में हो रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण हैं. इमरान खान, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केक़ियांग की बैठक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख भी शामिल होंगे.
इमरान खान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐसे समय में मुलाकात कर रहे हैं जब जिनपिंग भारत दौरे पर आने वाले हैं. ये मुलाकात ऐसे समय में हो हो रही जब भारत प्रशासित कश्मीर में 5 अगस्त से भारत सरकार की लगाई पाबंदियों के दो महीने पूरे हो चुके हैं. इसलिए दोनों की मुलाकात सामरिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण हो गई है. इस मुलाकात से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग, ख़ासकर चीन-पाकिस्तान के बीच आर्थिक गलियारे पर दूसरे चरण की बातचीत इस दौरे का सबसे बड़ा एजेंडा बताया था. लेकिन क्या इमरान के चीन दौरे से पाकिस्तान की कुछ समस्याओं का समाधान हुआ है.
पाकिस्तान तो ये भी कह रहा था कि भारत जाने से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग पाकिस्तान से सलाह लेना चाहते हैं, वे पाकिस्तान के नज़रिए से पूरी तरह वाकिफ़ होना चाहते हैं. लेकिन सच्चाई क्या है ये कहा नहीं जा सकता. क्योंकि चीन पाकिस्तान को सिर्फ अपने फायदे के लिए ही इस्तेमाल करता है. कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त किए जाने के बाद से ताज़ा राजनीतिक माहौल और सैन्य झड़पों पर भी दोनों देशों की बातचीत हुई है. प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अपने तीन दिवसीय इस दौरे के दौरान आर्थिक सहयोग के कई समझौते और मसौदे पर हस्ताक्षर करेंगे. पाकिस्तान के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से इमरान का ये दौरा बेहद महत्वपूर्ण है.
धारा 370 और 35ए में चीन भी एक पक्ष है. क्योंकि भारत ने अवैध तरीके से लद्दाख में चीन की जमीन पर कब्जा कर रखा है और इस क्षेत्र को नए केंद्र शासित प्रदेश में शामिल किया गया है. लिहाजा चीन और पाकिस्तान का नेतृत्व एक रणनीतिक सोच को लेकर एक साथ इस मुद्दे पर आगे बढ़ेगा. हालांकि चीन पाकिस्तान से इस मुद्दे पर ज्यादा बात करेगा ये कहा नहीं जा सकता क्योंकि शिनजियांग और हांगकांग के रिकॉर्ड को देखते हुए साफ है कि चीन इस स्थिति में नहीं है कि वो 5 अगस्त को कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 की बहाली या फिर कर्फ़्यू को हटाने को लेकर अभी भारत पर दबाव बना सके.