आर्थिक मंदी ने तोड़ दी कमर्शियल सेक्टर की कमर, फाइनेंसियल फ्लो में भारी गिरावट

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अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार को एक और झटका लगा है. आर्थिक मंदी के बीच खबर है कि कमर्शियल सेक्टर में नकदी प्रवाह में 88 प्रतिशत की गिरावट आई है. आरबीआई के आकंडों से पता चलता है कि बैंकों और गैर बैंकों का फंड फ्लो 90 हजार 995 करोड़ रहा है. पिछले साल ये समान अवधि में 7 लाख 36 हजार 087 करोड़ था.

अर्थव्यवस्था की सुस्ती खत्म करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. लेकिन ये कदम कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. अब आर्थिक मोर्चे पर विफल रही सरकार के लिए एक और बुरी खबर है. खबर ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में कमर्शियल सेक्टर की हालत खराब हुई है. इस सेक्टर में ओवरऑल फाइनेंसियल फ्लो में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. इस सेक्टर में नकदी का प्रवाह कर 88 फीसदी नीचे गिर गया है. आरबीआई के हालिया आंकड़ों के अनुसार साल 2019-20 में अब तक कमर्शियल सेक्टर में बैंकों और गैर-बैंकों के फंड का प्रवाह 90,995 करोड़ रहा. यही आंकड़े एक साल पहले साल समान अवधि में 7,36,087 थे.

क्या हैं इन आकंड़ों के माएने?

एग्रीकल्चर, मैन्युफैक्चरिंग और ट्रांसपोर्ट कमर्शियल सेक्टर में आते हैं. इन आकंड़ों का मतलब ये है कि ये तीनों ही सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहे हैं. इस सेक्टर में 1,25, 6000 करोड़ का रिवर्स फ्लो देखने को मिल रहा है. यह कमर्शियल सेक्टर से नॉन-डिपोजिट टेकिंग एनबीएफसी की तरफ है. इतना ही नहीं बैंकों की ओर से कमर्शियल सेक्टर के नॉन फूड क्रेडिट फ्लो में भी गिरावट देखने को मिल रही है ये 1,65,187 से रिवर्स फ्लो होकर 93,688 हो गया है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि नॉन-बैंक्स की तरफ से सबस्क्राइब किए जाने वाले कमर्शियल पेपर की नेट इश्यूएंस 2,53,669 से घट कर सितंबर के बीच में 19,118 करोड़ पहुंच गई.

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आर्थिक मंदी पर आरबीआई ने क्या कहा?

कमर्शियल सेक्टर में नकदी का प्रवाह क्यों घटा इसको लेकर आरबीआई ने कहा है कि बैंकों की तरफ से लोन देने में कमी की है और कमजोर मांग और जोखिम से बचने का ये नतीजा है. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने साल 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद में विकास की दर में अपने पहले के अनुमान 6.9 फीसदी की दर में कटौती करते हुए इसके 6.1 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. ये आकंड़े साफ दिखाते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और ये आर्थिक मंदी कई सेक्टर पर असर डाल रही है. पिछले कुछ महीनों में सरकार की तरफ से मंदी से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और फंड की उपलब्धता के उपाय करने से बाजार के सेंटिमेंट्स में कुछ हद सुधार करने की कोशिश की गई है.

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