कश्मीर में धारा 370 हटाने के दो महीने बाद क्या हैं हालात?
जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के दो महीने बाद हालात कैसे हैं? क्या घाटी में शांति बहाली का दावा करने वाली सरकार सबकुछ सामान्य करने में कामयाब हुई है? क्या पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जो एतिहासिक फैसला किया उससे घाटी में लोगों की जिंदगी में कुछ बदलाव हुआ है?
पांच अगस्त को केंद्र सराकर ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा ली थी. ये फैसला करने के करीब 12 घंटे पहले घाटी में सरकार ने संचार के सारे माध्यम बंद कर दिए थे. अभी कश्मीर में सिर्फ लैंडलाइन फोन के जरिए ही संवाद हो पा रहा है. अब धारा 370 हटाने के दो महीने बाद मोबाइल फोन, मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉडबैंड बंद हैं. पूरे इलाके में कई तरह की पाबंदियां लगी हैं. इसके अलावा संचार सेवाओं के बंद होने से कश्मीर में लोगों को कई तकलीफ़ों से गुजरना पड़ रहा है.
मानसिक बीमारी के शिकार लोग
कश्मीर में पिछले दो महीनों से संचार सेवाओं के बंद होने से यहां के लोगों में डिप्रेशन और व्यग्रता की बढ़ गई है. लोग मानसिक रोगों के शिकार हो रहे हैं. इस कई लोग पिछले दो महीने में अवसाद से ग्रस्त हो गए हैं. अपनों से संपर्क न हो पाने से लोगों की मनोदशा पर तो असर पड़ ही रहा है. मेडिकल के जानकारों का कहना है कि सर्दियों में अवसाद के रोगियों की संख्या और बढ़ सकती है. पिछले दो महीनों में पाबंदियों के बीच ऐसे हजारों लोग हैं जिन्हें जरूरी मेडिकल सुविधाएं नहीं मिलीं
व्यापार भी पूरी तरह से ठप्प
घाटी में धारा 370 हटने के बाद कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है. लोग घरों में कैद हैं और जो लोग वहां से सामान लाते ले जाते हैं उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई लोगों ने बताया कि वो ये समझ नहीं पा रहे हैं कि घाटी ऐसे हालातों से कैसे उबरेगी. बाजार बंद हैं और लोग इस इंतजार में हैं कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हों. लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी ऐसा नहीं लगता कि सरकार कारोबार को पटरी पर ला पाने में कामयाब हुई है.
पीसीओ के जरिए संपर्क बनाते लोग
इस वक्त कश्मीर में संपर्क के लिए लैंडलाइन ही एकमात्र अच्छा जरिया है. जिन के घरों में लैंडलाइन लगा हुआ है उनके घरों को पीसीओ बना दिया गया है जहां लोगों को जमघट लगा रहता है. जिनके अपने बाहर हैं उनका ये अस्थाई पीसीओ ही एकमात्र सहारा है. हालात ये है कि जिनके घरों में लैंडलाइन है वो एक कॉल के 50 रुपये भी वसूल ले रहे हैं. मोबाइल आने के बाद पीसीओ बंद हो गए थे लेकिन घाटी में एक बार फिर से पीसीओ नजर आने लगे हैं.