‘प्याज इतना महंगा हो गया कि पाकिस्तान से मंगवाना पड़ रहा है’
‘पूड़ी छोले की थाली के रेट में पांच रुपया बढ़ा दिया है भइया क्योंकि प्याज महंगा हो गया है. सलाद में प्याज की जगह खीरा से काम चलाना पड़ेगा अब. और भइया हम का ये भी सुना है कि प्याज पाकिस्तान से मंगवा रही है सरकार’
अरे बेटा प्याज संभाल के रखो थाली में, प्याज महंगा हो गया है भट्टा बैठा दोगे क्या?
ये दो वाकये ये बताने के लिए काफी हैं कि अचानक से बढ़ी प्याज की कीमतों ने बाजार में क्या फर्क डाला है. प्याज बिना डाले सब्जी में स्वाद नहीं आता और सलाद में प्याज के बगैर खाने का मजा नहीं आता. ऐसे में पूड़ी वाले ने प्याज की वजह से अपनी थाली का रेट पांच रुपये बढ़ा दिया और शाकाहारी होटल वाले चचा ने अपने अपने बिटेवा को समझा दिया कि बेटा प्याज पर जरा हाथ संभाल के…
प्याज की कीमतों में अचानक से उछाल आ गया है. दिल्ली के बाजार में कुछ दिन पहले जो प्याज़ 35 से 40 रुपए किलो था वो 60 से 70 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है. थोक रेट ही 50 रुपयो किलो हो गया है. प्याज के कारोबारी बता रहे हैं कि इस बार प्याज की पैदावार कम हुई है इसलिए कीमतों में बढ़ी हैं. पिछले साल प्याज सस्ता हो गया था इसलिए किसानों ने प्याज कम बोया और इस बार प्याज महंगा हो गया है. हालात ये हैं किप्याज़ का स्टॉक कम पड़ रहा है और कीमतें ऊपर जा रही हैं.
इस बार किसानों ने खेतों में 25 से 30 फीसदी कम प्याज लगाया है. इसके अलावा बारिश की वजह से भी काफी प्याज की फसल बर्बाद हो गई. आमतौर पर अप्रैल में जो प्याज़ निकाला जाता है वह दिवाली तक चलता है लेकिन इस बार वो प्याज़ अभी ख़त्म हो चुका है. इसलिए प्याज की कीमतें बढ़ गई हैं. महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की बढ़ी मंडी है इसे एशिया की सबसे बड़ी मंदी कहते हैं. देश भर में प्याज़ की कीमतें इसी मंडी से तय होती हैं.
पाकिस्तान जैसे देशों से मंगवाएंगे प्याज
लासलगांव मंडी में ही प्याज का भाव 45-50 रुपए प्रति किलो है. इस बार कीमतें इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि मौसम की वजह से काफी फसल बर्बाद हो गई. पहले सूखा पड़ा और उसके बाद भारी बारिश हुई. नतीजा ये हुआ कि फसल का काफी नुकसान हुआ. प्याज की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए अब सरकार ने विदेश से इसे मंगवानों का फैसला किया है. आने वाले दिनों में सरकार अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और मिस्र से प्याज़ मंगवाएगी.
लेकिन क्या विदेश से आए प्याज की वजह से कीमतें कम होंगे. तो प्याज से जुड़े हुए कारोबारी मानते हैं कि ऐसा नहीं होगा. सरकारी कंपनी एमएमटीसी लिमिटेड ने पाकिस्तान, मिस्र, चीन, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य देशों से प्याज़ के आयात के लिए टेंडर मंगवाए हैं और इसपर महाराष्ट्र के किसानों को आपत्ति है. उनका कहना है कि अगर बाहर से प्याज़ मंगवाएंगे तो वह भी 30-35 रुपए प्रति किलो पड़ेगा, इसके बाद उसके ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी आएगा तो दाम उतने ही हो जाएंगे जितने मंडियों में चल रहे हैं.
नीतियों में कमी के चलते बढ़ी कीमतें
प्याज की कीमतों को कम रखने के लिए सरकार के स्तर पर कोई कोशिश नहीं हुई. सरकार ने पिछले हफ़्ते प्याज़ का न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी 850 डॉलर प्रति टन तय किया था. लेकिन सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है जिससे कि प्याज की कीमतों पर लगाम लगाई जा सके. क्योंकि कभी प्याज 4 से 5 रुपये प्रति किलो बिकता है तो कभी इसकी कीमतें 70 तक पहुंच जाती है. इसके नुकसान किसान का ही होता है. कुल मिलाकर मौजूदा वक्त में प्याज की बढ़ी हुई कीमतों से लोग परेशान हैं क्योंकि अगर खाने में जायका चाहिए तो प्याज तो आपको खरीदना ही होगा.