राफेल का भारत आने का इंतजार खत्म हो गया है. भारतीय वायुसेना को गुरुवार को फ्रांस में दसॉ के उत्पादन संयंत्र में पहला विमान सौंप दिया है. वायुसेना की टीम का नेतृत्व एयर मार्शल वीआर चौधरी ने किया. उन्होंने एक घंटे तक उड़ान भी भरी.
भारत और फ्रांस के बीच 60 हजार करोड़ रुपए के समझौते के मुताबिक पहला विमान भारत को एक्सेप्टेंस मोड में सौंपा जाना था तो अब अगले सात महीने तक इस विमान को फ्रांस में परीक्षणों से गुजरना होगा. आधिकारिक तौर पर राफेल को सौंपने की तारीख 8 अक्टूबर की है. डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह फ्रांस पहुंचकर पहले राफेल को भारतीय वायुसेना में शामिल करेंगे. जो पहला लड़ाकू विमान भारत को मिला है उसे आरबी-01 नाम दिया गया है. फिलहाल इसका ट्रायल हो रहा है. अब आप सोच रहे होंगे कि इसे आरबी नाम क्यों दिया गया तो आपको बता दें कि राफेल समझौते में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय वायुसेना के नए प्रमुख एयर मार्शल आरबीएस भदौरिया के सम्मान में पहले राफेल विमान के ट्रायल को यह नाम दिया गया.
राफेल उड़ाने के लिए 24 पायलट होंगे ट्रेंड
भारत को राफेल मिलने की शुरुआत मई 2020 में हो जाएगी. इसके बनाने वाली कंपनी के साथ जो करार हुआ है उसके मुताबिक इसे भारत के हिसाब से बनाना होगा. इसमें भारत की जरूरतों के अनुसार करीब 79 अरब रुपए की लागत से कई विशेष उपकरण जोड़े गए हैं. भारत को सौंपे जाने से पहले खास तौर पर जोड़े गए इन उपकरणों का परीक्षण होगा और पायलटों को प्रशिक्षित किया जाएगा. जिन पायलटों को इसे उड़ाने के लिए ट्रेंड किया जाएगा उनकी संख्या 24 है. अगले साल मई तक इन पायलटों की ट्रेनिंग चलेगी.
भारत को फ्रांस से 39 राफेल खरीदने हैं. भारत सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉ के साथ 2016 में 6 खरब रुपए की डील फाइनल की थी. भारत अपने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर वायुसेना की क्षमता बरकरार रखने के लिए राफेल खरीद रहा है.