यूपी में उपचुनाव (Bypoll) से पहले बीजेपी का खेल गड़बड़ा सकता है. चुनाव से ठीक पहले योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से बड़ा झटका लगा है. यूपी सरकार के उस फैसले पर कोर्ट ने रोक लगा दी है जिसमें उन्होंने ओबीसी जातियों को एससी में डालने का फैसला किया था.
उपचुनाव (Bypoll) से बीजेपी का जातिय गणित बिगड़ सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के फैसले पर रोक लगा दी है. योगी सरकार के शासनादेश पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि पहली नजर में राज्य सरकार का फैसला गलत है. इसको लेकर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव (समाज कल्याण) मनोज कुमार सिंह से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये रोक ऐसे वक्त में लगाई है जब यूपी में 12 सीटों पर इसी साल उपचुनाव होने हैं. इन्हीं चुनावों को देखते हुए योगी सरकार ने 24 जून को 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का शासनादेश जारी किया था. सरकार से इस फैसले से सीधे सीधे ओबीसी जातियों की राजनीति करने वाली पार्टी को झटका लगा था.
योगी आदित्यनाथ के इस फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने याचिका दाखिल कर राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी जिसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने फौरी तौर पर माना कि सरकार का फैसला गलत है. कोर्ट ने कहा है कि किसी भी सरकार को इस तरह का फैसला करने का अधिकार नहीं है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये साफ कर दिया कि सिर्फ संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है. केंद्र व राज्य सरकारों को इसमें किसी तरह के बदलाव का संवैधानिक अधिकार नहीं है. योगी सरकार ने कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर जातियों को एससी में शामिल कर दिया था. और जिला अधिकारियों को भी प्रमाण देने के लिए कहा गया था.