सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को गुरुरवार को एक बैठक में बुलाया और इसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की. पार्टी को संकट से उबारने के लिए उन्होंने नेताओं की तीन सलाह दीं हैं. बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने ठोस तरीके से आगे बढ़ने की प्लानिंग तैयार की है.
सोनिया गांधी के हाथ में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी की कमान है और उन्हें एक बार फिर से संकटमोचक की भूमिका निभानी होगी. कांग्रेस को उबारने के लिए उन्होंने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. इस ब्लूप्रिंट को देखकर लगता है कि उन्होंने पार्टी की हालत को लेकर गहराई से मंथन किया है. सोनिया गांधी ने बैठक में जो संदेश दिया वो एक अलग नजरिए को दिखाता है. बैठक में उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय होना ही जरूरी नहीं है बल्कि आपको अपनी राजनीति को आंदोलन की शक्ल देनी होगी. बैठक में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को तीन सलाह दीं.
सलाह नंबर-1
आर्थिक मंदी, नौकरियों की कमी और निवेशकों के डगमगाए विश्वास जैसे प्रमुखों मुद्दों को उठाएं
सलाह नंबर-2
सामाजिक ध्रुवीकरण करने वाले मसलों जैसे अनुच्छेद 370 को हटाना, असम में एनआरसी और राम मंदिर से दूर रहें
सलाह नंबर-3
पार्टी को व्यवस्थित करें, सामूहिक संपर्क पर जोर दें और कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग पर जोर दिया जाए. कांग्रेस को अपनी विरासत को बीजेपी को नहीं हड़पने देना चाहिए.
मुख्य तौर पर इन तीन बिंदुओं पर सोनिया गांधी का ज्यादा जोर रहा. उन्होंने ‘ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर्स’ नियुक्त करने का फ़ैसला किया है. ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर सामूहिक संपर्क अभियान पर जाने से पहले कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करते समय कांग्रेस के दृष्टिकोण और विचारधारा के बारे में बताएगा. ये बीजेपी के ‘प्रचारक’ की तरह ही काम करेगा लेकिन ‘ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर’ चुनाव लड़ सकेगा. घर-घर जाकर, बूथ कार्यकर्ताओं को प्रचार में शामिल करके, निचले स्तर तक संपर्क बनाकर पार्टी को खड़ा करने की दिशा में पार्टी को बढ़ाना होगा.
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सोनिया गांधी ने कहा है कि बीजेपी के पास अपने ‘ग़लत’ उद्देश्यों के लिए महात्मा गांधी, सरदार पटेल और बीआर अंबेडकर जैसे महान प्रतीकों के संदेशों को अपने अनुसार बदलने के तरीके हैं. कांग्रेस बीजेपी को ऐसा नहीं करने देगी. इस बैठक के बाद लग रहा है कि कांग्रेस अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर आगे बढ़ेगी इसकी शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कर दी है. उन्होंने मोदी सरकार को हेड लाइन मैनेजमेंट से ज्याद आर्थिक मंदी पर फोकस होने की सलाह दी है.