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अमेरिका-तालिबान के बीच होने वाली बातचीत पर लगा पूर्णविराम

अफगानिस्तान में शांति बहाली को लेकर तालिबान के साथ चल रही बातचीत पर अमेरिका ने पूर्णविराम लगा दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इस आतंकी संगठन के साथ लंबे वक्त से चल रही बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई है.

व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत पर पूर्णविराम लग चुका है. दोनों के बीच बातचीत का अंत अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ होना था. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इस आतंकी संगठन के साथ लंबे समय से चल रही बातचीत बिना किसी नतीजे पर पहुंचे खत्म हो गई है. पीटीआई के मुताबिक व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप कहा, ‘वो (बातचीत) दफन हो चुकी. जहां तक मेरा सवाल है, वो दफन हो चुकी है.’

ट्रंप से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी ये संकेत दिए थे कि अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत के दरवाजे पूरी तरह से बंद हैं. उन्होंने एक साक्षात्कार में ये अहम बात कही थी. उन्होंने कहा था, ‘मैं निराशावादी नहीं हूं. मैंने तालिबान को वह कहते और करते देखा है जिसकी पहले उससे उम्मीद नहीं की जा सकती थी. मैं उम्मीद करता हूं कि इस मामले पर तालिबान अपने बर्ताव में बदलाव लाएगा और उन बातों पर दोबारा प्रतिबद्धता जताएगा जिन पर हम कई महीनों से बात कर रहे थे.’

माइक पॉम्पियो ने कहा था कि अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तालिबानी नेताओं के साथ होने वाली बैठक में भी रद्द कर दी गई है. ये बैठक गोपनीय तरीके से होनी थी. उन्होंने कहा कि काबुल में जो बम धमाका हुआ था उसके बाद ये फैसला लिया गया है. इस धमाके में एक अमेरिकी सैनिक और 12 लोग मारे गए थे. अमेरिका का कहना है कि तालिबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता. हालांकि तालिबान ने अमेरिका के इस फैसले की आलोचना की है.

तालिवान ने कहा है कि अमेरिका का अफगान शांति वार्ता से पीछे हटना गलत है. तालिबान का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का ये फैसला दिखाता है कि ट्रंप में परिपक्वता और अनुभव की कमी है. आपको बता दें कि अफगनिस्तान में शांति बहाली के लिए डोनाल्ड ट्रंप की तालिबान और अफगान सरकार के प्रतिनिधियों से अलग-अलग मुलाक़ात होनी थी. ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान अफगानिस्तान को अमेरिका की कठपुतली बताता है.

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