गोमूत्र-गोबर सिर्फ रोगों के इलाज के काम ही नहीं बल्कि उन महिलाओं के काम भी आएगा जो गर्भवती हैं. मोदी सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन का मानना है कि अगर गर्भवती महिलाएं ऐसी दवाओं का इस्तेमाल करेंगी तो उनके बच्चे अक्लमंद पैदा होंगे.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया को लगता है कि दवाओं के निर्माण में गोमूत्र के अलावा गायों से मिलने वाले दूध, गोबर, घी और दही का इस्तेमाल किया जाएगा जो अक्लमंद बच्चे पैदा होंगे. इस साल फरवरी में मोदी सरकार ने गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग’ का गठन किया था. ये आयोग आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है और पंचगव्य दवाएं तैयार कर रहा है. ये दवाएं गोमूत्र-गोबर से तैयार होती हैं.
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आयोग दावा करता है कि अगर गर्भवती महिलाएं इन दवाओं का नियमित सेवन करें तो उन्हें फायदा होगा. आयोग के चेयरमैन का मानना है कि इसके सेवन से ‘बेहद बुद्धिमान और स्वस्थ बच्चों’ का जन्म होगा. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया ने अंग्रेजी वेबसाइट द प्रिंट से बातचीत में ये बातें कहीं. कथीरिया गुजरात से बीजेपी सांसद भी रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘शास्त्रों और आयुर्वेद में लिखा है कि अगर गर्भवती स्त्रियों इन दवाओं का सेवन करती हैं तो वे बेहद बुद्धिमान और स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं।’