मिर्जापुर में पुलिस ने एक स्थानीय पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. पत्रकार पर आरोप ये था कि उसने मिड डे मील में बच्चों को नमक के साथ रोटी खिलाए जाने की ख़बर छापी थी. उसका वीडियो बनाया था. प्रशासन का आरोप है कि पत्रकार पवन जायसवाल ने साजिशन उत्तर प्रदेश शासन को बदनाम करने की कोशिश की.
मिर्जापुर के पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ IPC की धारा 120बी (आपराधिक षडयंत्र), 420 (धोखाधड़ी) और 193 (झूठे सबूत गढ़ना) के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है. पवन ने एक सरकारी स्कूल में बच्चों को मिड डे मील के तहत क्या खाना खिलाया जाता था इसपर रिपोर्टिंग की थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि स्कूल में बच्चों को नमक रोटी दी जा रही है. इस मामले में मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार पांडे ने कहा,
“जिला अधिकारी की ओर से जांच कराए जाने के बाद पत्रकार पवन जायसवाल समेत तीन लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है. पुलिस आगे की जांच कर रही है. इस संबंध में एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है.”
पवन जायसवाल एक स्थानीय हिंदी अखबार के लिए कान करते हैं और उनका कहना है कि उन्हें जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने एक वीडियो भी बनाया है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में पत्रकार पवन जायसवाल ने बताया है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. एफ़आईआर दर्ज होने के बाद वो डरे हुए हैं. पवन को अपने खिलाफ हुई एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है.
उस वीडियो में क्या था जिसके आधार पर एफआईआर हुई
मिर्जापुर के जमालपुर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय शिउर में छात्रों को मिड डे मील में नमक के साथ रोटी खाते हुए वीडियो पवन ने रिकॉर्ड किया था. जब ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया तो सवाल खड़े हो गए. पवन का कहना है कि कई दिनों से गांव के लोग उन्हें मिड डे मील में हो रही अनियमितता के बारे में फोन कर रहे थे. लोग उनसे कह रहे थे कि इस मामले को प्रशासन के सामने लाया जाए.
ये वीडियो 22 अगस्त को बनाया जब पवन के पास किसी गांव के आदमी या सूत्र का फोन आया. पवन का कनहा है कि स्कूल जाने से पहले उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी को इस बारे में जानकारी दी थी. और 22 अगस्त को करीब 12 बजे स्कूल पहुंचे ते. जहां पर बच्चे नमक रोटी खा रहे थे. ये सब देखकर उन्होंने तुरंत वीडियो बना लिया. पवन का कहना है कि उन्होंने उस वीडियो को जिला स्तर के पत्रकारों के पास भेजा और इसके बाद वीडियो के आधार पर डीएम से सवाल पूछा गया.
डीएम की जांच में दो अधिकारी निलंबित हुए
इस वीडियो के सामने आने के बाद मिर्जापुर डीएम ने जांच करवाई और दो लोगों को निलंबित कर दिया. स्थानीय प्रशासन ने पांच बार जांच की और वीडियो और घटनाक्रम को सही पाया. लेकिन 6ठीं जांच जिला विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने उनसे लिखित में इस विषय में शिकायत करने के लिए कहा. उन्होंने कहा,
“मैंने उनसे कहा कि मैं पत्रकार हूं. मेरा काम ख़बर करना है, मुझे किसी मामले में पक्ष न बनाया जाए.”
यहां आपको ये भी जान लेना चाहिए कि जिसके जरिए पवन को स्कूल के मिड डे में नमक रोटी खिलाने की जानकारी मिली उसे भी हिरासत में ले लिया गया है. पवन का कहना है कि सीएम ने जांच के आदेश दिए जिसके बाद स्थानीय अधिकारी अपने आप को बचाने के लिए उन्हें फंसा रहे हैं. हालांकि जांच में ये पाया गया है कि स्कूल में बच्चों को नमक से रोटी खिलाई गई. क्योंकि सब्ज़ी आने में देर हो रही थी.
अभी तक मिर्जापुर के जिलाधिकारी अनुराग तिवारी ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ये तब है जब उन्होंने खुद इस मामले में स्कूल का निरीक्षण किया था. और कहा था कि
“ये बहुत बड़ी अनियमितता है. बच्चों को सरकार की ओर से फल और दूध भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. मिड डे मील का पैसा ग्राम प्रधान के पास आता है. जिस दिन का वीडियो है उस दिन दाल रोटी बच्चों को दी जानी थी. जबकि बच्चों को रोटी-नमक दिया गया. ये बहुत बड़ी अव्यवस्था है. इस संबंध में हमने दो लोगों को निलंबित कर दिया है.”
लेकिन अब सवाल ये है कि जब नमक रोटी बच्चों ने खाई तो पत्रकार के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई. एफआईआर में दावा किया गया है कि पवन जायसवाल ने राजकुमार पाल नाम के व्यक्ति के साथ मिलकर साजिश के तहत बच्चों का नमक रोटी खाते हुए वीडियो बनाया. प्रशासन का दावा है कि ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि ने जानबूझकर वीडियो बनवाया जबकि उन्हें पता था कि स्कूल में रसोइये के पास सब्जी की कमी है. पवन जायसवाल का बनाया वीडियो वायरल होने के बाद भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस दिया है. और सरकार की किरकिरी हो रही है.