डायरेक्ट टैक्स कोड पर बने पैनल ने वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में 2.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर 10 फीसदी की दर से इनकम टैक्स प्रस्तावित किया गया है. जबकि सुपर रिच यानी सालाना 2 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वालों पर को 35 फीसदी टैक्स लगाने की सिफारिश हुई है.
डायरेक्ट टैक्स कोड समिति ने सलाह दी है कि मौजूदा 5%, 20% और 30% टैक्स स्लैब की बजाय 5%, 10% और 20% के टैक्स स्लैब को रखा जाना चाहिए. इस समिति ने सुझाव दिया है कि 10-20 लाख रुपए तक की आय पर 20% टैक्स लिया जाए. अभी 10 लाख से ज्यादा आपनी इनकम है तो आपको 30% टैक्स देना होता है. लेकिन डायरेक्ट टैक्स कोड समिति ने कहा है कि इसमें बदलाव करने की जरूरत है. वहीं समिति ने 20 लाख से 2 करोड़ रुपए की आय पर 30% टैक्स का प्रस्ताव दिया है.
2-3 साल रेवेन्यू घटेगा लेकिन बाद में टैक्स बेस बढ़ेगा
समिति का मानना है कि अगर सरकार उनकी सिफारिशें लागू करती है. 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक की आय पर 5%, 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय पर 20% और 10 लाख से ज्यादा आय पर 30% टैक्स में थोड़ा बदलाव करती है. यानी टैक्स स्लैब रिवाइज करती है तो 2-3 साल के लिए रेवेन्यू में कमी हो सकती है, लेकिन इसके बाद टैक्स भरने में लोगों को आसानी होगी और टैक्स चोरी को भी रोका जा सकेगा.
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स खत्म होना चाहिए
डायरेक्ट टैक्स कोड समिति ने कहा है कि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को खत्म किया जाना चाहिए. पैनल ने कहा कि कंपनियों की उस डिविडेंड इनकम पर टैक्स लेना चाहिए जिसका हिस्सा उन्होंने शेयरहोल्डर्स को नहीं दिया है. समिति का मानना है कि डीडीटी के चलते कंपनियों पर बोझ बढ़ता है और उन्हें दोगुना टैक्स देना पड़ता है. भारत में जो कंपनियां संचालित होती हैं अभी उन्हें वित्त वर्ष में घोषित या दिए गए कुल डिविडेंड पर 15% का डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देना पड़ता है. इस पर 12% सरचार्ज और 3% सेस भी लगता है. तो इन सुझावों से टैक्स देने वालों को राहत मिलने की उम्मीद है.