सीबीआईसी ने भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 22 अफसरों को हटा दिया है. सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 के नियम 56 (जे) का इस्तेमाल करते हुए ये कार्रवाई की. इस नियम के तहत सरकार को जनहित में कर्मचारियों को 3 महीने का नोटिस देकर रिटायर करने का अधिकार है.
भष्टाचार पर तगड़ी चोट करते हुए मोदी सरकार ने 22 अफसरों को हटा दिया है. इससे पहले जून में भी इसी तरह की कार्रवाई करते हुए 15 अफसरों को हटा दिया था. भ्रष्टाचार के खिलाफ ये कार्रवाई केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने की है. कार्रवाई के तहत 22 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है. सुपरिंटेंडेंट रैंक के ये अफसर भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में आरोपी हैं.
सीबीआईसी ने इन अधिकारियों को सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 के तहत जनहित में कार्रवाई के मूलभूत अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने इन्हें रिटायर किया गया है. इसी तरह की कार्रवाई मोदी सरकार ने जून के महीने में भी की थी जब 15 अफसरों को रिटायर कर दिया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों 15 अगस्त के संबोधन में भी कहा था कि कर विभाग में कुछ लोगों ने अधिकारों का दुरुपयोग कर करदाताओं को प्रताड़ित किया है.
क्या होता है फंडामेंटल रूल 56 (j)?
फंडामेंटल रूल 56 (j) का इस्तेमाल 50 से 55 साल की उम्र या 30 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके उन अधिकारियों के खिलाफ किया जाता है जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं या भी भ्रष्टाटार जैसे मामलों में आरोपी हैं. पीएम मोदी पहले भी कही बार कह चुके हैं कि गुड गर्वनेंस के लिए ये जरूरी है कि अधिकारी तेजतर्रार तरीके से काम करें और उत्साह के साथ राष्ट्रनिर्माण में योगदान दें.
किन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई ?
जिन 22 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है वो भोपाल, दिल्ली, मुंबई, जयपुर, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, कोलकाता समेत विभिन्न सेंट्रल जीएसटी जोन में तैनात थे. देशभर में सीबीआईसी के कुल 12 जोन हैं अधिकारियों केके उके, एसआर पराटे , कैलाश वर्मा, केसी मंडल , एमएस दामोर , आरएस गोगिया, किशोर पटेल, जेसी सोलंकी, एसके मंडल, गोविंद राम मालवीय, एस. अशोकराज, दीपक एम गनेयन, प्रमोद कुमार, मुकेशजान, नवनीत गोयल, अचिंत्य कुमार, वीके सिंह डीआर चतुर्वेदी, डी. अशोक, लीला मोहन सिंह, वीपी सिंह जैसे नाम शामिल हैं