पारले जी एक ऐसा बिस्कुट है जो शायद ही किसी ने ना खाया हो. लेकिन अब पारले जी के पांव आर्थिक मंदी ने उखाड़ दिए हैं. भारत की सुस्त अर्थव्यवस्था ने देश की सबसे बड़ी बिस्किट बनाने वाली कंपनी पारले को मजबूर कर दिया है कि वो अपने 10,000 कर्मचारियों की छटनी करे.
पारले जी बनाने वाली पारले को केंद्र सरकार से शिकायत है कि सरकार 100 रुपये प्रतिकिलो या इससे कम कीमत वाले बिस्किट पर GST में कटौती नहीं कर रही. कंपनी की मांग है कि ऐसे बिस्कुट पर जीएसटी में कटौती की जाए. जो कि आमतौर पर 5 रुपए और उससे कम कीमत के पैक पर बेचे जाते हैं. कंपनी ने कहा है कि अगर सरकार प्रोत्साहन नहीं देती है तो उसे मजबूरत अपने 10,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ेगा.
पारले कंपनी का कहना है कि जीएसटी से पहले जो टैक्स सिस्टम था उसमें 100 रुपए प्रतिकिलो वाले बिस्किट पर 12 फीसदी टैक्स लगता था. जब जीएसटी लागू हुआ तो उन्हें उम्मीद थी कि प्रीमियम बिस्किट 12 फीसदी की जगह 5 फीसदी वाले स्लैब में होगा. लेकिन सरकार ने दो साल पहले सभी बिस्किट पर 18 प्रतिशत GST लगा दिया. ऐसा होने से दामों में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के बाद बिस्किट की बिक्री में गिरावट आ गई.
जो पारले कंपनी सालाना 10,000 हजार करोड़ से ज्यादा की बिक्री करती है और जिसमें करीब 1 लाख कर्मचारी काम करते हैं उसकी बिक्री घटनकर 5,000 करोड़ की रह गई है. आपको यहां ये भी जान लेना चाहिए कि पारले का ज्यादातर व्यापार गांव देहात में होता है. अब ऐसे में अगर पारले की बिक्री घटी है तो जाहिर कि गांव के लोगों ने पारले जी खरीदना कम कर दिया है. यानी ग्रामीण भारत में आर्थिक मंदी का असर साफ दिखाई दे रहा है.
सुनाई दे रही है आर्थिक मंदी की आहट
पारले कंपनी की हालत से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनियाभर के अर्थशास्त्री भारत में जिस मंदी का जिक्र कर रहे थे वो सही है. अरविंद सुब्रमण्यम हों या फिर रघुराम राजन ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने एक बात पर जोर दिया है कि भारत में जीडीपी की गणना को तरीका ठीक नहीं है और देश की अर्थव्यवस्था ठीक दिशा में नहीं जा रही. लेकिन किसी ने इस पर गौर नहीं किया. अब हालत कुछ ज्यादा बिगड़ गई है. कुछ बिंदुओं में भारत की अर्थव्यवस्था की हालत समझने की कोशिश करिए.
- भारत के ऑटो सेक्टर में पिछले 3 माह में यहां काम कर रहे 2-3 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं.
- RBI के मुताबिक उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट हुई, पेट्रोलियम, खनन, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर और संचार जैसे सेक्टर्स में उद्योगों ने कर्ज लेना कम कर दिया है.
- अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की वजह से भी दुनिया में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ता नजर आ रहा था.
- दुनियाभर के वित्तीय बाजारों ने इस सप्ताह अमेरिका में मंदी का दौर शुरू होने के संकेत दे दिए हैं.
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी कहा कि अगर 2020 में चुनाव हारा तो देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी.
- अर्जेंटीना की मुद्रा पेसो का अमेरिकी डॉलर की तुलना में इस हफ्ते 20 फीसदी तक अवमूल्यन हो गया है.
- अमेरिका की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि अगले 9 महीनों में आर्थिक मंदी आ जाएगी हालांकि भारत इस मंदी की चपेट से थोड़ा दूर रहेगा.
- चीन पर अमेरिकी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. इस वजह से यहां की विकास दर लगातार कम हो रही है. IMF ने चीन की विकास दर को घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है.
- नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने आर्थिक मंदी की चेतावनी देते हुए कहा कि 2019 के अंत या फिर अगले साल वैश्विक मंदी आने की काफी आशंका है.
प्रियंका ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि इस ‘भयंकर मंदी’ पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सरकार में बैठे लोगों का मुंह नहीं खुल रहा है. उन्होंने ट्वीट करके कहा कि ‘देश का आम नागरिक भाजपा सरकार के शीर्ष नेताओं से, वित्त मंत्री से इस भयंकर मंदी पर भी कुछ सुनना चाहता है। फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, नौकरियां खत्म हो रही हैं, लेकिन सरकार के लोगों का मुंह नहीं खुल रहा। क्यों?
प्रियंका गांधी लगातार ट्वीट करके मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रमाण देने की कोशिश कर रही है. उन्होंने की आंकड़े शेयर किए हैं. जिसमें उन्होंने बताने की कोशिश की है कि वाहनों की बिक्री में पिछले 19 वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है और ऑटो क्षेत्र में 10 लाख से अधिक लोगों की नौकरी जाने का खतरा है. उधर पारले कंपनी की हालत भी खराब होने से विपक्ष को एक और मौका मिल गया है कि वो सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करे.