जिम कॉर्बेट में पीएम मोदी और बियर ग्रिल्स की जुलगबंदी देखकर आप हैरान हो जाएंगे. डिस्कवरी चैनल पर लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मैन वर्सेज वाइल्ड’ के जानेमाने चेहरे बियर ग्रिल्स ने उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पीएम मोदी के साथ किस तरह शूटिंग की ये जानना दिलचस्प है.
बियर ग्रिल्स को जिसने भी टीवी पर देखा है वो ये तो जानता है कि वो हर हालात से निपटना जानते हैं. लेकिन जिम कॉर्बेट में शूटिंग से पहले बियर ग्रिल्स ने ढिकाला परिसर में रुककर पीएम मोदी का इंतजार किया था. बियर ग्रिल्स ने इस शो में सांप, बिच्छू या कोई दूसरा कीड़ा नहीं खाया क्योंकि पीएम मोदी शाकाहारी हैं. इस शो को शूट करने से पहले बियर ग्रिल्स जिम कॉर्बेट के ढिकाला परिसर मे रहे. ये परिसर काफी सुरक्षित जगह पर है इसमें 33 कमरे हैं.
शो की शूटिंग जब शुरु होने वाली थी तो ढिकाला और इसके आसपास जमकर बारिश हो रही थी. मोदी कालागढ़ से एक स्पीड बोट से ढिकाला पहुंचे और जंगल के पुराने रेस्ट हाउस में बारिश रुकने तक इंतजार किया. जब बारिश बंद हुई तब शो की शूटिंग शुरु हुई. इस शो में पीएम मोदी और बियर ग्रिल्स की जुगलबंदी देखते ही बन रही है. बियर ग्रिल्स के दुनिया में करोड़ो फैन्स हैं. पीएम मोदी से पहले बियर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भी एक शो शूट कर चुके हैं.
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बारे में…
आपको शायद जानकारी न हो कि जिम कॉर्बेट भारत का पहला टाइगर रिजर्व है. उत्तराखंड की पुरानी तराई में कॉर्बेट गढ़वा और कुमाऊं दोनों ही इलाके में पड़ता है जो शाल के जंगल, घास के मैदान और पहाड़ियों का एक मनोरम मिश्रण है जहां सांप की तरह घुमावदार रामगंगा नदी बहती है. कॉर्बेट इतना खूबसूरत है कि दुनिया में इसकी टक्कर का दूसरा टाइगर रिजर्व नहीं है. साल 1936 में तब के यूनाइटेड प्रॉविन्स के तत्कालीन गवर्नर मैल्कॉम हैली के नाम पर इसे हैली नेशनल पार्क घोषित किया गया. लेकिन बाद में इस पार्क को जिम कॉर्बेट का नाम दिया गया जिन्हें आज भी उत्तराखंड में याद किया जाता है.
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जिम कॉर्बेट के बारे में आपको बता दें कि उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ की आबादी को कई आदमखोर बाघों और तेंदुओं से छुटकारा दिलाया था. अपने बाद के जीवन में प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम किया. जिम कॉर्बेट ने न केवल अपने 16-एमएम कैमरे से वन्यजीवन की फ़िल्में बनाईं, बल्कि जंगल पर किताबें भी लिखीं जिन्हें आज क्लासिक माना जाता है. जिम कॉर्बेट की ‘मैन इटर्स ऑफ़ कुमाऊं’ काफी मशहूर किताब है. 1955 में जब जिम कॉर्बेट की मृत्यु हुई तो रिजर्व का नाम उनके नाम पर रख दिया गया. तकनीकी रूप से और सौंदर्य के लिहाज से जिम कॉर्बेट भारत के पहले और यकीनन बेहतरीन प्रकृति संरक्षणवादी थे.