भारतीय क्रिकेटरों को अब दूसरे खेलों की तरह डोपिंग टेस्ट से होकर गुजरना होगा. बीसीसीआई को अब नाडा के कानून मानने होंगे. हालांकि लंबे समय तक बोर्ड नाडा की प्रक्रिया से असंतुष्ट था अब बोर्ड को नाडा के नियम मानने होंगे.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के के सीईओ राहुल जौहरी ने बताया कि बोर्ड अब नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) के अंतर्गत काम करेगा. बोर्ड को नाडा के कानून का पालन करना होगा. बीसीसीआई पूर्ण रूप से इन नियमों का पालन करने के लिए तैयार है. इसका मतलब ये है कि अब भारतीय क्रिकेटरों को नाडा की परीक्षण प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. ये चुनौतीपूर्ण है लेकिन खेल को साफ बनाए रखने के लिए इसकी जरूरत भी है.
हाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते खिलाड़ी पृथ्वी शॉ को प्रतिबंधित दवा का सेवन करने का दोषी पाया गया था. इसके बाद उन पर 15 नवंबर तक का बैन भी लगाया गया. हालांकि बीसीसीआई ने ये भी माना था कि शॉ ने गलती से दवाई का सेवन किया था लेकिन वो नियम के मुताबिक गलत थे. शॉ ने गलती से प्रतिबंधित दवा (टर्ब्यूटलाइन) ली थी.
सामान्य तौर पर यह पदार्थ कफ सिरप में पाया जाता है. इससे पहले लंबे समय तक बीसीसीआई क्रिकेटरों के डोपिंग टेस्ट के लिए नाडा प्रक्रिया का इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ रही है. इसकी वजह बोर्ड का उनके तौर-तरीके से संतुष्ट न होना था लेकिन अब बोर्ड तैयार हो गया है और आने वाले समय में क्रिकेटरों को नाडा की परीक्षण प्रक्रिया है उससे गुजरना होगा.