भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता दी गई है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है. लेकिन अब भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने इसे खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया है.
अमित शाह ने जम्मू कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाये जाने की मांग पहले भी की जाती रही है. लेकिन अब इस पर सरकार ने फैसला कर लिया है. हालांकि कश्मीर के नेता और स्थानीय निवासी ऐसी किसी भी संभावना मात्र का पुरजोर विरोध करते आ रहे हैं.
अनुच्छेद 370 के क्या क्या है मतलब
धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये. इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है. 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता. धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को मिले हुए हैं.
धारा 370 अगर हटती है तो कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त हो जाएगा और कश्मीर में अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण मिलेगा. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं लेकिन अगर ये हट जाती है तो फिर जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदना आसान हो जाएगा. धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है जो इसके हटने के बाद नहीं मिल पाएगी. धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं. अगर 370 हटती है तो ये कानून वहां लागू होंगे.
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है.
जम्मू कश्मीर के पास दोहरी नागरिकता होती है जो अब प्रस्ताव पास हो जाता है तो नहीं रहेगी. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता अगर 370 हटती है तो फिर वो भी एक ही होगा. जम्मू – कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. 370 हटने के माएने ये है कि वहां वही नियम लागू होंगे जो देश के दूसरे राज्यों में होते हैं. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है. क्योंकि वहां दूसरे नियम हैं. अगर धारा 370 हटाई जाती है तो ऐसा नहीं हो पाएगा.
SC के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं
एक बड़ा बदलाव ये भी आएगा कि भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बनाने का जो अभी अधिकार है उसमें विस्तार होगा. अब जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त नहीं होगी.
धारा 370 में समय के साथ-साथ कई बदलाव भी किए गए हैं लेकिन अब इसको पूरी तरह से खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया गया है. 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था. उनकी जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री हुआ करता था, जिसे बाद में बदला गया था.