मनमोहन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा को मोदी सरकार खत्म करने की तैयारी कर रही है. सरकार ने मनरेगा के योजना के तहत साल 2018-19 के दौरान आवंटित बजट 55,000 करोड़ को बढ़ाकर इस वित्तीय वर्ष में 60,000 करोड़ कर दिया है.
मोदी सरकार मनरेगा को खत्म करने का मन बना रही है. मनमोहन सरकार ने इस योजना का गरीबी खत्म करने के लिए शुरु किया था लेकिन अब मोदी सरकार इस योजना का उपयोगिता खत्म होती हुई मान रही है. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को इस बात की जानकारी लोकसभा में दी. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा यूपीए सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. मोदी सरकार का मानना है कि ये योजना उतनी उपयोगी नहीं रही है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि मोदी सरकार ने मनरेगा को ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनाया है.
मोदी सरकार ने मनरेगा के योजना के तहत साल 2018-19 के दौरान आवंटित बजट 55,000 करोड़ को बढ़ाकर इस वित्तीय वर्ष में 60,000 करोड़ कर दिया है. मनरेगा योजना के तहत लोगों को कृषि क्षेत्र में मजदूरी दी जाती है, लेकिन अब सरकार मनरेगा योजना का इस्तेमाल जय संचयन के काम में करना चाहती है. मोदी सरकार की कोशिश है कि मनरेगा से ज्यादा दूसरी योजनाओं को विस्तार दिया जाए. कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री ने लोकसभा में बताया कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बड़े स्तर पर लागू करने पर विचार कर रही है.
नरेंद्र तोमर ने बताया कि साल 2014 से पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभार्थी 6 लाख थे, जो कि अब बढ़कर 8.95 लाख हो गए हैं. लोकसभा में अनुदान की मांग को लेकर चर्चा चल रही थी. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फंड में भी बढ़ोत्तरी की गई है और इसे 26 करोड़ से बढ़ाकर 74 करोड़ रुपए कर दिया गया है. मोदी सरकार की कोशिश है कि मनरेगा से ज्यादा दूसरी योजनाओं को विस्तान देने की जरूरत है. सदम में बोलते हुए केद्रीय मंत्री ने बताया की किसान सम्मान योजना और स्वाइल हेल्थ कार्ड के जरिए किसानों की आय दोगुना करने के लिए काम हो रहा है.