#INDvENG: विश्व कप में विराट सेना की पहली हार का सबसे बड़ा कारण

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#INDvENG: विश्व कप में विराट सेना की पहली हार का सबसे बड़ा कारण

‘अगर कप्तान कोहली और रोहित शर्मा के बीच पनपी साझेदारी थोड़ी तेज हुई होती हो नतीजा कुछ और होता’

‘अगर टीम इंडिया का रंग न बदला गया होता तो टीम को लक टीम के साथ होता और अजेय अभियान रुकता नहीं’

‘अगर धोनी और केदार जाधव की जोड़ी जीतने की कोशिश करकी और धोरी अपने अंदाज में खेलते तो हम जीत जाते’

INDvENG : ये वो टिप्पणियां हैं जो इंग्लैंड से भारत की हार के बाद फैंस की ओर से दी गईं. लेकिन सिर्फ ये काफी नहीं हैं. विश्व कप में भारतीय टीम की ये हार कई मायनों में अहम है. इस हार ने भारत की गेंदबाजी की कलई खोलकर रख दी. मैच गंवाने के बाद टीम इंडिया के कप्तान ने कहा,

हर टीम यहां पर हारी है हालांकि कोई हारना नहीं चाहता, लेकिन यह भी स्वीकार करना होगा कि विरोधी टीम अपने दिन पर शानदार खेली. इस हार से सीखने को मिलेगा और हम आगे की तरफ देख रहे हैं.

विराट कोहली रविवार को विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में इंग्लैंड से 31 रनों से पराजित होकर काफी परेशान दिखाई दिए. इस हार के साथ भारत की लगातार जीत दर्ज करने का सिलसिला भी टूट गया. रविवार को खेले गए इस मैच में इंग्लैंड ने शानदार खेल दिखाया.

@icc

मैच में पहले टॉस जीतकर इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की और निर्धारित 50 ओवर में सात विकेट खोकर 337 रन बनाए. इस मैच में बाद में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने सिर्फ 306 रन ही बनाए. हालांकि 50 ओवर का खेल खत्म होने तक भारत की 5 बल्लेबाज बाकी थी.

टीम इंडिया की ये हार इसलिए भी अहम है क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही टीम इंडिया ने इंग्लैड से आईसीसी एकदिवसीय रैंकिंग में बढ़त बनाई है और पहले नंबर पर पहुंची है. इतनी मजबूत बैंटिग लाइनअप होने के बाद भी क्या टीम इंडिया ये 337 रनों का स्कोर नहीं बना सकती थी ये सवाल उठने लगा है. यहां आफको बता दें कि विकेट सपाट था और बाउंड्री छोटी थी जिसका फायदा मेजबानों ने खूब उठाया. लेकिन भारतीय टीम उस रिदम में नहीं आ पाई. इंग्लैंड से हारने के बाद भारत के ऊपर दवाब बन गया है. और अगला मैच उसे बांग्लादेश से खेलना है जो इस वक्त अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखा रही है.

भारत को अपना आखिरी मैच श्रीलंका से खेलना है और श्रीलंका एक ऐसी टीम है जो ख़ुद तो डूब गई है और भारत के लिए ये मैच जीतना ही होगा. इस मैच के बाद इंग्लैंड ने खुद को दावेदारी में बनाए रखा है. क्योंकि इंग्लैंड ने इस मैच में सभी क्षेत्रों में शानदार प्रशासन किया. पहले बल्लेबाजी, फिर गेंदबाजी और फील्डिंग. तीनों ही क्षेत्रों में इंग्लैंड की टीम ने बेहतरीन काम किया. लेकिन इस मैच में भारत की गेंदबाजी पूरी तरह से एक्सपोज हो गई. इंग्लैंड के जेसन रॉय और बेयरस्टो ने जिस अंदाज़ में भारतीय गेंदबाजों को खेला उससे लग रहा था कि इंग्लैंड 400 का आंकड़ा भी छू ले सकता है.

जेसन रॉय और बेयरस्टो के बीच 160 रनों की साझेदारी हुई. इस साझेदारी ने ही मैच का रुख बदल दिया था. जॉनी बेयरस्टो ने बेहतरीन तरीके से खेल दिखाते हुए सेंचुरी लगाई और उनका साथ जेसन रॉय ने दिया. इसके बाद मोर्गन का विकेट जल्दी ज़रूर गिरा लेकिन बेन स्टोक्स के सामने भारतीय गेंदबाजी फेल हो गई. यहां भारतीय स्पिनर डिपार्टमेंट भी फेल हो गया.

ये बात साफ हो गई कि जब-जब विकेट से मदद नहीं मिलेगी, तब-तब युज़्वेंद्र चहल और कुलदीप यादव को मुश्किल होगी और संघर्ष करेंगे. भारत के पास एक ही भरोसेमंद गेंदबाज़ है और वह है जसप्रीत बुमराह. वह किसी भी विकेट पर अच्छी गेंद कर सकते हैं.

मोहम्मद शमी भी बेहतर गेंदबाज़ हैं. वह भी अपने आलोचकों को बता रहे है कि बार-बार उन्हें टीम से बाहर कर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पांच विकेट और वह भी विश्व कप में, इससे बढ़कर वह क्या कर सकते हैं. चहल और यादव की बात करेंगे तो चहल ने 10 ओवर में 88 रन खर्च किए जो एक रिकॉर्ड है इससे पहले सबसे महंगा स्पैल जवागल श्रीनाथ का था जिन्होंने 87 रन खर्च किए थे. हार्दिक पांड्या भी महंगे साबित हुए. इस मैच से ये भी साफ हो गया कि जब-जब सपाट विकेट मिलेंगे, भारतीय गेंदबाज़ साधारण साबित होंगे.

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