एक तस्वीर जिसने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. एक तस्वीर जिसने दुनिया में बढ़ रहे शरणार्थी संकट की ओर देखने को मजबूर किया है. उस तस्वीर में एक पिता है. एक बेटी है और वो दर्द है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
ये तस्वीर दुनिया को झकझोर रही है. इसके बारे में बताने पहले आपको ये बता दें कि होंडूरास, ग्वाटेमाला और अल सल्वाडोर से लोग हिंसा और गरीबी के कारण भागकर अमेरिका में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं. अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की नीतियों की वजह से लोग अमेरिका आने के खतरा मोल लेते हैं. जिस घटना ने दुनिया का ध्यान खींचा है उसके पीछे भी यही वजह है. 25 वर्षीय ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज़ रामीरेज़ अपनी बेटी वलेरिया के साथ रविवार को मैक्सिको के माटामोरोस से अमरीका के टेक्सस में आने की कोशिश कर रहे थे. उनकी डूबने से मौत हो गई. उनकी और उनकी बेटी के तैरते शव की तस्वीर पत्रकार जुलिया ली डक ने सोमवार को ली थी. ये तस्वीर मैक्सिकन अख़बार ला जोर्नाडा ने छापी थी. अब ये दुनियाभऱ में चर्चा का विषय बन गई है.
रियो ग्रैंड नदी उन तमाम लोगों की आवाजादी का जरिया है जो अमेरिका में रहने का सपना लेकर आते हैं. लेकिन इस सफर में मौत भी इन लोगों का इंतजार करती है और जो इस दरिया को पार कर जाते हैं वो खुशकिस्मत हैं और नहीं कर पाते वो छोड़ जाते हैं अपने पीछे दर्दनाक मंजर. रियो ग्रैंड नदी के किनारे पर पड़े बाप-बेटी के शवों ने दुनिया का झकझोर कर रख दिया है…मेक्सिको में रियो ग्रैंड नदी के किनारे ये दोनों मृत पाए गए. अल सल्वाडोर के ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रैमिरेज अपनी 23 महीने की बेटी वलेरिया को लेकर अमेरिका के लिए निकले थे लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था…वो रियो ग्रैंड नदी को पार नहीं कर पाए और रविवार को पिता-पुत्री की ड़ूबने से मौत हो गई. जब ये खबर स्थानीय प्रशासन को हुई तो लोग यहां पहुंचे. अमेरिका में शरण का सपना लिए रैमिरेज और उनकी बेटी का शव औंधे में नदी के किनारे पड़ा था. बेटी का सिर अपने पिता की टी-शर्ट में था, एक हाथ पिता की गर्दन के पास निकला है. तस्वीर देखकर ये अंदाजा हो जाता है कि रैमिरेज ने अपने बेटी को बचाने के लिए उसे अपनी टीशर्ट में छिपाने की कोशिश की होगी.
- साउथ अमेरिका और उत्तरी मेक्सिको में बहती है रियो ग्रैंड
- टेक्सस पहुंचने के लिए रैमिरेज अपने बेटी के साथ निकले
- मेक्सिको के रैमिरेज का अमेरिका में रहने का सपना था
अपने सपने और अच्छी जिंदगी जीने की उम्मीद के लिए एक बाप अपनी बेटी को पीठ पर लाद नदी तैरकर पार कर रहा था ताकि अमेरिका के टेक्सस पहुंच जाए. लेकिन सपना अधूरा रह गया और लोगों को दोनों शव मिला…ये तस्वीर झकझोर देने वाली है. 23 महीने की बेटी का सिर अपने पिता की की टी-शर्ट में है…ये तस्वीर उस कड़वी हकीकत से रुबरू करा रही है. वो संकट है प्रवासियों का संकट. इस तस्वीर ने प्रवासियों और शरणार्थियों की समस्या पर दुनियाभर में बहस छेड़ दी है…ये तस्वीर बता रही है कि कैसे इंसान की बनाई सरहदों ने एक बाप-बेटी की जान लेली.
तैर कर नदी क्यों पार कर रहा था रैमिरेज ?
इस तस्वीर को देखिए और थोड़ा पीथे लौटिए और सोचिए कि जिस पुल से मैक्सिको औऱ अमेरिका की बीच आवाजाही होती है अगर वो बंद ना होता तो क्या ये बाप बेटी बच ना गए होते. बाप-बेटी के साथ उसकी मां भी थी जो रास्ते से लौट गई थी लेकिन अब वो अपनी बच्ची के खिलौने देखकर तस्वीरें देखकर बिलख रही है. सोचिए कि पुल बंद ना होता तो शायद ये त्स्वीर भी हम ना देखते…सोचिए कि इस मासूम को कहां पता होगा कि सरहदें क्या हैं, दुनिया क्या है, दुनियादारी क्या है, देश क्या है, परदेस क्या है…? उसने यही सोचा होगा कि साथ में पिता है दरिया पार करा ही देगा….उसने सोचा होगा कि माता-पिता का साया साथ है और ये साया सुरक्षा का गारंटी है….सोचिए कि जब वो डूबी होगी तो उसने इस नदी की लहरों में अपने नन्हें हाथों से तैरने की कोशिश की होगी…सोचिए कि जब वो नहीं तैर पाई तो अपने पिता के गले को कस के जकड़ लिया होगा और एक पिता ने अपने बच्चे को बचाने के लिए टीशर्ट में छिपा लिया होगा…वो टीशर्ट जो बाद में उसका कफन बन गई…ये तस्वीर हिला कर रख देती है….उस मां, उस पत्नी पर क्या गुजरी होगी जिसने अपनी नंगी आंखों से इस मंजर को देखा था…मार्टिनेज रैमिरेज और वलेरिया इंसान के बनाए सरहदों की बलि चढ़ गए है…रियो ग्रैंड नदी में रैमिरेज और वलेरिया ही नहीं डूबे, शायद उनके साथ मानवता भी दरिया में डूब गई…लेकिन ये तस्वीर पहले तस्वीर नहीं है और शायद आखिरी भी नहीं…4 साल पहले 2015 में आयलान कुर्दी की तस्वीर भी आई थी जिसने पूरी दुनिया को सन्न कर लिया था…वो भी इसी तरह औधे मुंह पड़ा हुआ था…कई देशों के दिल पिघले थे उस तस्वीर से, कई देशों ने शरणार्थियों के लिए बाहें फैला लिया था, सरहदें खोल दी थी… क्या रैमिरेज और वलेरिया की तस्वीर के बाद इमिग्रेशन की समस्या दुनियाभर में बहस के केंद्र में होगी और देशों के हठी शासकों की आंखें खोल सकेंगी या फिर यह नाकाफी है…क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने जिस तरह से मैक्सिको के लोगों के लिए अपने दरवाजे बंद किए हैं उसने लोगों को इस तरह से आने पर मजबूर किया था…
जुलिया लि डक नाम की पत्रकार ने ली तस्वीर
मेक्सिको से हर साल हजारों लोग गैरकानूनी ढंग से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते हैं, सिर्फ इसलिए कि उनकी आंखों में बेहतर जीवन का सपना होता है… अल सल्वाडोर के रहने वाले ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रैमिरेज भी उन्हीं लोगों में से एक थे। रैमिरेज अपनी बेटी वलेरिया और पत्नी तानिया वनेसा एवलोस के साथ पिछले हफ्ते के आखिर में मेक्सिको के सरहदी शहर मतामोरोस पहुंचे थे ताकि वहां से अमेरिका जा सके और शरण के लिए आवेदन दे सकें। लेकिन इंटरनैशनल ब्रिज सोमवार तक बंद था लिहाजा वह रविवार को पैदल ही नदी के किनारे तक पहुंचे। नदी का पानी पार करने लायक दिख रहा था। उन्होंने फैसला किया कि नदी को तैरकर पार करेंगे। मासूम बेटी को पीठ पर लादा और तैरने लगे। पत्नी एवलोस भी एक फैमिली फ्रेंड की पीठ पर लदकर नदी पार कर रही थीं। बीच नदी से एवलोस और उनके फैमिली फ्रेंड ने लौटने का फैसला किया क्योंकि नदी पार करना मुश्किल लग रहा था। लेकिन रैमिरेज वलेरिया को लेकर आगे तैरते रहे। उनकी पत्नी ने बताया कि वह थक चुके थे। वह किनारे पहुंचने ही वाले थे कि यह हादसा हो गया….इस नदी में पहले भी बच्चे डूबे हैं लेकिन ये तस्वीर दर्दनाक है.. 2 महीने पहले रियो ग्रैंड नदी में ही डेंगी डूबने से होंडुरास के 3 बच्चे और एक वयस्क की मौत हो गई ट्रंप के शासनकाल से पहले भी यह होता था लेकिन अब उनकी चाहत जहन्नुम के दरवाजे खोल रही है…क्या ये तस्वीर दुनिया को पिघला पाएगी.
2018 में अमरीका-मैक्सिको सीमा पर कम से कम 283 आप्रवासी मारे गए थे. ये आंकड़ा यूएस बॉर्डर पेट्रोल का है…रामीरेज़ पिछले दो महीनों से मानवीय वीज़ा पर मैक्सिको में रह रहे थे….आधिकारिक रूप से शरण लेने के लिए अमरीकी अधिकारियों से न मिल पाने से हताश-परेशान रामीरेज़ ने नदी पार करके अमरीका में घुसने का फ़ैसला किया था…मैक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रे मैनुएल लोपेज़ ओब्राडोर ने भी लोगों को चेतावनी दी है कि वे ऐसा न करें और उन्होंने मौत पर अफसोस भी जताया है…यहा आपको ये भी बता दें कि इस महीने की शुरुआत में मैक्सको और अमरीका के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें ग़ैर क़ानूनी रूप से आप्रवासियों के आने पर लगाम लगाने की बात कही गई थी. उसके बाद से बड़ी संख्या में बिना दस्तावेज़ वाले आप्रवासियों को वापस भेजा गया है और बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. और ये संख्या पहले के मुक़ाबले बढ़ी है.,,