मुद्रा योजना ने बढ़ाया बैंकों का बोझ, तेजी से NPA हो रही लोन की रकम

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मोदी सरकार ने मुद्रा योजना की शुरुआत स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए की थी. लेकिन एक आरटीआई के जरिए हासिल हुई सूचना बताती है कि मुद्रा योजना ने बैंको का बोझ बढ़ाया है और इस योजना के तहत कुल 30.57 लाख खातों का 16,481.45 करोड़ रुपये एनपीए घोषित किया गया है.

सबसे पहले आपको बता दें कि एनपीए का मतलब उस कर्ज से होता है जिसे गैर निष्पादित परिसंपत्ति यानी बैंकों का फंसा हुआ क़र्ज़ या नॉन पर्फार्मिंग एसेट कहते हैं. आरटीआई की जानकारी बताती है कि मुद्रा योजना के तहत लिया लोन लोग चुका नहीं रहे और ये बढ़कर एक साल के भीतर में दोगुने से भी ज्यादा हो गया है. द वायर में छपी खबरे क मुताबिक तत्कालीन केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 12 फरवरी को राज्यसभा में बताया था कि 31 मार्च 2018 तक में मुद्रा योजना के तहत सार्वजनिक बैंकों का एनपीए 7,277.31 करोड़ रुपये है.

बढ़ रहा है ‘बैड लोन’ का आंकड़ा

इस योजना के जरिए जो लोग दिया जाता है उसके एनपीए होने से बैंक पर बोझ बढ़ रहा है क्योंकि मुद्रा से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि 31 मार्च 2019 तक 16,481.45 करोड़ रुपये का मुद्रा लोन एनपीए हो गया है. इस हिसाब से 12 महीनों में मुद्रा योजना के तहत सार्वजनिक बैंकों के एनपीए में 9,204.14 करोड़ रुपये की बढ़ोत्ती दर्ज की गई है. यहां आपको बता दें कि आरटीआई के तहत ये जानकारी भी मिली है कि कुल 30.57 लाख खातों को एनपीए घोषित किया गया है.

RBI ने वित्त मंत्रालय को चेताया

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक 31 मार्च 2018 तक ऐसे खातों की संख्या 17.99 लाख थी. यानी एक साल में एनपीए किए गए खातों की संख्या में 12.58 लाख की बढ़ोतरी हुई है. आपको बता दें कि मुद्रा योजना के बारे में रिजर्व बैंक ने भी वित्त मंत्रालय को चेताया थआ कि मुद्र योजना बहुत बड़े एनपीए का जरिया बन सकता है. सरकार मुद्रा योजना को बड़ी योजना के तौर पर पेश कर रही है और कह रही है कि इस योजना से युवाओं को स्वरोजगार करने का मौका मिलेगा.

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