राहुल गांधी के इंकार के बाद कांग्रेस ने एक फायर ब्रांड नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया है. अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के बेहरामपुर से पांचवीं बार सांसद चुने गए हैं.
लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद कांग्रेस खड़े होने की कवायद में लगी हैं. लगातार दूसरी बार कांग्रेस उतनी सीटें नहीं जीत पाई कि उसे नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका मिल सके. और कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि वो लोकसभा में अपनी आवाज को पुख्ता तरीके से उठाए. अधीर रंजन चौधरी के राजनीतिक सफऱ पर अगर नजर डालें तो वो एक फायर ब्रांड नेता हैं और जमीन से जुड़े माने जाते हैं. उनके लिए चुनौती होगी कि बीजेपी के 303 सांसदों के सामने कांग्रेस 52 सांसदों की आवाज बन सकें.
2019 में उन्होंने लगातार पांचवी बार मर्शिदाबाद के बहरामपुर से जीत दर्ज की है. वो पहली बार 1999 में लोकसभा पहुंचे थे. बंगाल में कांग्रेस की लगातार खिसकती जमीन और ममता बनर्जी की कठिन चुनौती के बावजूद अधीर अपना गढ़ बचाने में कामयाब रहे. 17वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले रविवार को अधीर रंजन चौधरी की खुद प्रधानमंत्री मोदी भी तारीफ कर चुके हैं. सर्वदलीय बैठक के दौरान सबके सामने पीएम ने अधीर को फाइटर यानी योद्धा बताया था.
यहां आपको ये भी बता दें कि अधीर रंजन चौधरी को ममता बनर्जी का धुर विरोधी माना जाता है. उन्होंने मुर्शिदाबाद से ममता बनर्जी की ताकत को खत्म करने के लिए काम मेहनत की और वो लगातार यहां ममता बनर्जी को अपने इलाके से उखाड़ने के लिए काम कर रहे हैं. जब अधीर बंगाल कांग्रेस के मुखिया थे तो ममता ने बड़ी तादाद मे कांग्रेस विधायकों को टीएमसी में शामिल कराया था. आपको बता दें कि 2019 में उन्होंने अपने क्षेत्र में तब जीत हासिल की जब किसी बड़े नेता ने उनका प्रचार नहीं किया.
अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी के अपूर्व सरकार को हराया था. जो पहले अधीर के ही करीबी माने जाते थे. अधीर वो नेता माने जाते हैं जिन्होंने विपरीत हालातों में परिस्थितियों से लड़कर अपने गढ़ को बचा कर रखने में कामयाबी हासिल की है. कांग्रेस ने अधीर को लोकसभा में पार्टी की कमान तो सौंप दी है लेकिन उनकी राह आसान नहीं रहने वाली. क्योंकि कांग्रेस को लोकसभा में खड़ा कर पाने के लिए अधीर को धीरज बनाकर काम करना होगा.