पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, जी नहीं पढ़ोगे लिखोगे बनोगे डिलीवरी बॉय. अब सही लाइन ये है. क्योंकि पढ़ लिखकर हजारों युवा अब डिलीवरी बॉय बन रहे हैं. हाल ये है कि करीब 25 हजार युवाओं ने PG करने के बाद डिलिवरी देने का काम किया और इस साल दूसरी तिमाही में कंपनियां करीब 13 प्रतिशत हायरिंग के मूड में हैं.
आजकल सरकार कहती है कि सिर्फ सरकारी नौकरी मिलनी ही रोजगार नहीं है. आज किसी कंपनी के डिलीवरी बॉय हैं तो भी वो रोजगार ही है. कई मंत्री कहते हुए मिल जाएंगे कि स्वरोजगार भी रोजगार है इसलिए सरकारी नौकरी के पीछे ना भागें. ज़रा सोचिए कि युवा बीए, एमए के करते हैं और सोचते हैं कि उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद वो कोई ऑफिस जॉब करेंगे. लेकिन होता ये है कि बेरोजगारी के चलते इन युवाओं को मोटरसाइकिल या स्कूटी पर सामान यहां वहां पहुंचाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
इसमें कोई शक नहीं है कि बेरोजगारी अपने चरम पर है और केंद्र सरकार इसको कम करने में नाकाम रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा रही. आंकडे ये भी बताते हैं कि 2017 में शहरों में निरक्षर लोगों के बीच बेरोजगारी की दर 2.1 फीसदी थी, वहीं सेकेंडरी या इससे अधिक शिक्षा प्राप्त किए लोगों में यह दर बढ़कर 9.2 फीसदी रही. ये आंकड़े ही मजबूर कर रहे हैं कि करीब 25 हजार युवाओं को पीजी करने के बाद डिलीवरी बॉय बनना पड़ा.
टीमलीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक की माने तो ऑनलाइन कंपनियों के लिए डिलिवरी स्टाफ के तौर पर काम करने वाले पोस्ट ग्रैजुएट और ग्रैजुएट युवाओं की संख्या 25 हजार के करीब है. मैनपावर एम्प्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे के के आंकड़े कहते हैं कि देश की सिर्फ 13 प्रतिशत कंपनियां ही जुलाई से लेकर सितंबर वाली तिमाही में और ज्यादा लोग हायर करने के मूड में नजर आ रही हैं. पिछले साल इसी तिमाही में यह आंकड़ा 16 फीसदी का था.
दोबारा सत्ता में काबिज हुई मोदी सरकार के लिए बेरोजगारी बड़ी चुनौती है. वित्तीय संकट और बेरोजगारी को बड़ी चुनौती मानते हुए इससे निपटने के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. 5 जून को मोदी की अध्यक्षता में 15 मंत्रियों की दो नई कैबिनेट समितियां बनाई गईं. इन समितियों से आर्थिक विकास, निवेश और नई नौकरियां पैदा करने के संदर्भ में सुझाव मांगे गए हैं.