एससीओ की आज महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. एससीओ यानी शंघाई सहयोग संगठन. एससीओ एक ऐसा संगठन है जो पूरी दुनिया में एक बहुत ही असरदार और कुशल क्षेत्रीय संगठन बनकर उभरा है. इस शिखर वार्ता में करीब 20 देश शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा तीन बहुराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होने वाले हैं.
किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक मे आयोजित हो रही एससीओ की बैठक में कई अहम बातों पर बातचीत होने वाली है. इस बार की बैठक में इस बार ऊर्जा क्षेत्र की जरूरतों पर चर्चा होने वाली है. इस संगठन में भारत और चीन जैसी दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं लिहाजा इनके लिए ऊर्जा कैसे उपलब्ध हो इसको लेकर चर्चा होने वाली है. एससीओ की शुरुआत 1996 में सिर्फ पांच देशों से हुई थी.
उस समय उनका सिर्फ़ ये ही उद्देश्य था कि मध्य एशिया के नए आज़ाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर कैसे तनाव रोका जाए और धीरे-धीरे किस तरह से उन सीमाओं को सुधारा जाए और उनका निर्धारण किया जाए. इस संगठन ने अपने शुरुआत के मकसद को सिर्प तीन साल में हासिल किया और उसके बाद इसमें उज़्बेकिस्तान को जोड़ा गया. 2001 से एक नए संस्थान की तरह से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन का गठन हुआ. साल 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने.
आपको बता दें कि 2001 के बाद इस से इश संगठन का मकसद ऊर्जा पूर्ति से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना और आतंकवाद से लड़ना बन गया है. ये दो मुद्दे आज तक बने हुए हैं. शिखर वार्ता में इन पर लगातार बातचीत होती है. 2018 में हुई बैठक में ये तय किया गया था कि अगले तीन साल तक एक्शन प्लान बनाकर आतंकवाद से लड़ना है. इस बार ऊर्जा के मसले पर सबसे ज्यादा बात होगी.
चीन की चिंता और भारत-पाक की तल्खी
इस बार इस बैठक में चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि अमरीका ने ईरान और वेनेज़ुएला पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर जो माहौल बनाया है उससे कैसे निपटा जाए. क्योंकि ईरान और वेनेजुएला दुनिया में तीले सप्लाई करने वाले तीसरे और चौथे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं. अमेरिका के प्रतिबंध के चलते चीन और भारत में आयात बंद है लिहाजा चीन चिंतित है. वहीं दूसरी तरफ इस बैठक में भारत-पाकिस्तान के बीच तल्खी भी देखी जा सकती है. क्योंकि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस बैठक में शामिल तो होंगे लेकिन मुलाकात नहीं करेंगे.
एससीओ में कौन-कौन शामिल है?
एससीओ के आठ सदस्य हैं जिसमें चीन, भारत, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और पाकिस्तान हैं. इन आठ देशों के अलावा 4 ऑब्जर्वर देश जिसमें अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं. छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं. इस शिखर सम्मेलन में इन देशों के अलावा आसियान, संयुक्त राष्ट्र और सीआईएस के कुछ प्रतिनिधि भी बुलाया जाता है.