कर्नाटक में लोकसभा चुनाव से पहले किसान कर्जमाफी की रकम किसानों के खातों में आई थी. पूरे राज्य में करीब 13,988 किसानों के खातों में चुनाव से पहले कर्जमाफी की रकम आई थी. लेकिन जैसे ही चुनाव के नतीजे आए ये पैसे गायब हो गए. किसानों का कहना है कि ये रकम सरकार ने निकाल ली है.
पूरे कर्नाटक में 13,988 किसानों के खातों में चुनाव से पहले कर्जमाफी की रकम आई थी, लेकिन चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद सारे रुपए निकाल लिए गए हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार ने सिर्फ वोट हासिल करने के लिए खातों में पैसे डाले थे और नतीजे आने के बाद सारी रकम निकलवा ली. हालांकि कर्नाटक सरकार ने किसानों के आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि ये झूठी अफवाह फैलाई जा रही है.
कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी ने ट्वीट करके कहा है कि कर्जमाफी की रकम राष्ट्रीयकृत बैंकों में ट्रांसफर की गई थी और ये बैंक केंद्र सरकार के नियंत्रण में आते हैं. राज्य सरकार द्वारा इस मामले का ऑडिट कराया जाएगा और करोड़ों रुपए बचाने की कोशिश की जाएगी. इस मामले में 14 जून के एक बैठक होने वाली है जिसमें इस मुद्दे पर बातचीत की जाएगी. वहीं दूसरी तरफ जिन सेटलमेंट एंड लैंड रिकॉर्ड्स के सर्वे कमिश्नर मुनीष मुदगिल के नेतृत्व में ये कर्जमाफी योजना लागू की गई थी. उन्होंने बताया कि इसके तहत सिर्फ राष्ट्रीयकृत बैंकों से करार किया गया था.
उन्होंने बताया था कि कर्जमाफी योजना के तहत 12 लाख किसानों ने आवेदन किया था. और स्क्रूटनी के बाद बैंकों ने साढ़े 7 लाख योग्य किसानों का डेटा दिया था, जिन्हें 3,930 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. बताया जा रहा है कि जिन किसानों के खातों से पैसा वापस लिया गया है वो किसान अयोग्य हैं. ऑडिट के मुताबिक, जांच में पाया गया कि बैंकों ने 13,988 अयोग्य किसानों के खातों में 59.8 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए गए थे जिसे वापस कर किया गया है.