23 मई को आए लोकसभा चुनाव के नतीजो के बाद ही ये कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में बसपा-सपा के गठबंधन का खेल ख़त्म हो जाएगा. और ऐसा ही हुआ भी. मायावती ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये एलान कर दिया है कि 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव में वो अकेले मैदान में उतरेंगी.
सपा-बसपा गठबंधन को लेकर तभी से खतरे के बादल थे जब से लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे. बस इंतजार इस बात का था कि इसका एलान कब होता है. बसपा प्रमुख ने गठबंधन खत्म करते हुए कहा है कि ”जब से सपा-बसपा गठबंधन हुआ है तब से अखिलेश और डिंपल ने मुझे पूरे दिल से सम्मान दिया है. मैंने भी पुराने शिकवों को भुलाकर अपने बड़े होने के नाते परिवार की ही तरह सम्मान दिया.” लेकिन यादवों ने ही सपा के साथ छल किया.
मायावती ने क्या कहा ?
‘हमारे रिश्ते सिर्फ़ राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं बने हैं. ये रिश्ते हर सुख-दुख के मौक़े पर बने रहेंगे. लेकिन राजनीतिक मजबूरियों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. अभी लोकसभा चुनाव में जो नतीजे आए हैं, ऐसे में बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सपा को यादव बहुल सीटों पर भी वोट नहीं मिले हैं. यादव बहुल सीटों पर सपा के मज़बूत उम्मीदवार भी हारे हैं. कन्नौज में डिंपल और बदायूं धर्मेंद्र यादव का हारना हमें बहुत कुछ सोचने पर मज़बूर करता है. हालांकि बीते चुनावों में ईवीएम में गड़बड़ी किसी से छिपी नहीं है. फिर भी ये हार ऐसी नहीं होनी चाहिए. सपा में भीतरघात हुआ है.ये हार हमें काफ़ी सोचने पर मज़बूर करता है. सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में चुनावी परिणामों की समीक्षा हुई. जिस मक़सद से ये गठबंधन हुआ, उसमें सफ़लता नहीं मिली. सपा में भी कुछ सुधार लाने की ज़रूरत है. अगर मुझे लगेगा कि सपा प्रमुख अपने लोगों को एक साथ ला पाए तो हम लोग ज़रूर आगे साथ चलेंगे. अगर अखिलेश इसमें सफल नहीं हो पाते हैं तो हमारा अकेले चलना ही ठीक है. सपा के साथ ये ब्रेक स्थायी नहीं है, ये अस्थायी है.’
मायावती के इस एलान के बाद ये स्वाभाविक था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव इस पर प्रतिक्रिया देंगे. लिहाजा अखिलेश ने भी प्रतिक्रिया दी,
अखिलेश ने जवाब दिया
”गठबंधन अगर टूटा है और जो बातें रखीं गई हैं, उसके बारे में सोच विचार कर बातें रखूंगा. अगर उप चुनावों में गठबंधन है ही नहीं तो हम अपने समाजवादी पार्टी की तैयारी करेंगे. सपा भी पार्टी राय मशविरा करने के बाद उपचुनावों में 11 सीटों पर अकेले लड़ेगी. पार्टी इस बारे में विचार करेगी. हमारे लिए इस समय गठबंधन से ज़्यादा जो राजनीतिक हत्या हुई है वो ज़रूरी है.अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका भी स्वागत और बधाई सबको. सब अपने अपने रास्ते चलेंगे.”
सपा-बसपा गठबंधन को लेकर ये कहा जा रहा था कि उत्तरप्रदेश में ये बीजेपी का सफाया कर देगा लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और दोनों ही पार्टियों को मन मुताबित नतीजे नहीं मिले. सपा को सिर्फ पांच और बसपा को 10 सीटें मिली थीं. हालांकि गठबंधन से मायावती फायदे में रहीं.