लोकसभा चुनाव के दौरान फर्जी मतदाताओं को लेकर आई खबरों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है. आयोग ने कहा है कि जो भी खबरें फर्जी मतदाताओं को लेकर आई हैं वो पूरी तरह से गलत हैं.
चुनाव आयोग ने कहा है कि जो भी जानकारी है वो आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है. आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया अस्थायी मतदान प्रतिशत अंतिम संख्या नहीं है, इसलिए, मतदान प्रतिशत और वास्तविक मतदाताओं के अलग-अलग होने की बात गलत है. बेवसाइट पर ये भी बताया गया है कि अस्थायी मतदान आंकड़ा चुनाव आयोग की वेबसाइट और मतदाता हेल्पलाइन मोबाइल एप पर प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित किया गया, जिन्हें सेक्टर मजिस्ट्रेटों से हासिल संभावित मतदान प्रतिशत के आधार पर चुनाव के दिन रिटर्निंग ऑफिसर/असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर्स ने अपलोड किया था.
चुनाव आयोग का मानना है कि जो जानकारी बेवसाइट पर अपलोड की गई है उसे लोग अपने -अपने क्षेत्र में करीब 10 पीठासीन अधिकारियों से फोन पर या व्यक्तिगत रूप से समय-समय पर प्राप्त करते हैं, निर्वाचन अधिकारी से मिले दस्तावेजों की जांच के बाद सामान्य मतदाताओं (ईवीएम) का मतदान प्रतिशत संकलित किया जाता है और उसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. आयोग ने बताया है कि जो आकंड़े हैं वो अस्थाई हैं और ये आंकड़े आंकलन पर आधारित हैं. ये आंकड़े आगे चलकर बदल सकते हैं. इसलिए डाले गए वोट और गिने गए वोट की संख्या अलग-अलग होने की बात बेबुनियाद है.
आपको बता दें कि कई जगह से ऐसी खबरें आईं थी कि लोकसभा क्षेत्रों में दिखाए गए मतदान प्रतिशत और वास्तविक संख्या में गड़बड़ी है इसलिए आयोग को ये जानकारी देनी पड़ी. चुनाव आयोग ने कहा कि अंतिम नतीजे पर पहुंचने के लिए दो श्रेणियों के वोटों की गिनती की गई – जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए थे और जो सैनिकों एवं अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के डाक मतों से प्राप्त हुए थे. इसलिए इस कोई खामी नहीं है.