आधा हिन्दुस्तान भीषण गर्मी से जूझ रहा है. प्री मॉनसून बारिश में काफी कमी देखी जा रही है और आंकलन कहता है कि बीते 65 सालों में इतनी कम बारिश कभी नहीं नहीं. हर साल की तरह महाराष्ट्र में इस साल भी सूखे के हालात हैं और इस बार समस्या ज्यादा गंभीर है.
मॉनसून आने से पहले जो बारिश होती थी इस बार वो बारिश बेहद कम हुई है. मौसम विभाग के आंकड़े कहते हैं कि अभी तक सिर्फ 99 मिलिमीटर ही बारिश हुई जो 1954 के बात सबसे कम है. अप्रैल और मई महीने में प्री मॉनसून बारिश 1954 में दर्ज की गई थी. बारिश की वजह से महाराष्ट्र के मध्य, मराठवाड़ा और विदर्भ वाले इलाकों में सबसे ज्यादा असर है. महाराष्ट्र के बाद कोंकड़-गोवा, गुजरात का सौराष्ट्र और कच्छ, तटीय कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी शामिल हैं.
प्री मॉनसून में कम बारिश का असर जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक का आंतरिक हिस्से, तेलंगाना और रायलसीमा में देखा जा रहा है. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 100 सालों में महाराष्ट्र के इलाकों में बारिश लगातार कमी होती जा रही है जो अच्छे संकेत नहीं हैं. ये आपको ये समझ लेना चाहिए कि पानी की कमी को पूरा करने के लिए प्री मॉनसून बारिश बेहद जरूरी है. इसकी वजह से मिट्टी की नमी भी नहीं रहती और खेती का क्रम बना रहता है.