मोदी सरकार पार्ट-2 : अर्थव्यवस्था टूटी और रोजगार का टोटा

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मोदी एक बार फिर से पीएम बन गए हैं. मोदी के साथ 57 मंत्रियों ने भी शपथ लेली है. लेकिन मोदी सरकार पार्ट-2 के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं. देश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच सालों में सबसे धीमी रफ़्तार से बढ़ी है. और सरकार ने ये भी मान लिया है कि बीते पांच सालों में रोजगार की जो गति रही वो 45 सालों में सबसे कम थी.

सरकारी आकंड़े ये बताते हैं कि मोदी सरकार पार्ट-2 के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं. हैरानी की बात ये है कि अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक आर्थिक वृद्धि दर 6.8% रही है और इस साल जनवरी से मार्च तक की तिमाही में ये दर और लुढ़ककर 5.8% तक पहुंच गई. ये दर पिछले दो साल में पहली बार चीन की वृद्धि की दर से भी पीछे रह गई है.

इस आंकड़ों पर गौर करें तो भारत अब सबस तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था नहीं रह गया है. ये आंकड़े नई वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के लिए अच्छे नहीं हैं. ऐसे में ये सवाल भी खड़ा हो गया है कि सरकार गिरती हुई अर्थव्यवस्था में रोजगार कैसे देगी. यहां सवाल ये भी है कि मोदी की नई सरकार शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म पॉलिसी के बीच तारतम्य कैसे बैठाएगी.

आने वाले समय में मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की होगी. चुनाव से पहले जिस रिपोर्ट की सबसे ज्यादा चर्चा थी वो अब नई सरकार के गठन के बाद आ गई है और इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि साल 2017-18 के बीच बेरोज़गारी 45 साल में सबसे ज़्यादा रही. ये आंकड़े बताते हैं कि सरकार को उन क्षेत्रों में फोकस करना होगा जहां रोजगार की सबसे ज्यादा संभावना हो.

उपभोक्ताओं के खरीदने की क्षमता में आई कमी

अर्थव्यवस्था और रोजगार ही नहीं बल्किल घटता निर्यात भी रोजगार के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बन गया है. नई जीडीपी की दर साफ संकेत देती है कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से नीचे गिर रही है. पिछले सालों में भारत की आर्थिक तरक्की का सबसे बड़ा कारण घरेलू खपत थी लेकिन जो ताजा डेटा सामने आया है उससे ये संकेत मिल रहे हैं कि उपभोक्ताओं की खरीदने की क्षमता में कमी आई है.

चुनाव के दौरान न्याय योजना का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि वो लोगों के खातों में पैसा डालकर उनके खरीदने की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं जिससे आर्थिक तरक्की होगी. अब वही बात निकलकर सामने आ रही है. आकंड़े बताते हैं कि कारों-एसयूवी की बिक्री पिछले सात सालों के सबसे निचले पायदान पर है, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, स्कूटर की बिक्री में कमी आई है. तो वहीं बैंक से कर्ज़ लेने की मांग भी तेज़ी से बढ़ी है. ये आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि लोगों के खरीदने की क्षमता में कमी आई है.

कृषि संकट भी मोदी सरकार की राह में रोड़ा

मोदी सरकार ने शपथ लेने के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में किसानों की बात की. सरकार ने कहा है कि वो किसानों पेंशन देगी और सालाना 6 हजार रुपये देगी. लेकिन सरकार कि इस योजना से किसानों का कितना उद्धार होगा ये यक्ष प्रश्न है. किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा और किसान लंबे समय से ये मांग रहे हैं कि उन्हें उनकी फसल का सही दाम मिले. इन तमाम मुश्किलों से जूझते हुए क्या मोदी की नई सरकार रेलवे, सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.44 ट्रिलियन डॉलर खर्च कर पाएगी. ये अहम सवाल है और ये सवला इसलिए है क्योंकि बीजेपी ने ऐसा करने का वादा किया है.

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