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आंध्र प्रदेश : जगन मोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू नाएडू का कैसे फर्श पर ला दिया?

Jaganmohan-Reddy

अब तक मुख्य विपक्षी दल के रूप में रही जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आ रही है जबकि सरकार चला रही तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) बुरी तरह हार कर बाहर हो रही है. लोक सभा के साथ ही हुए राज्य विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस कुल 175 में से 152 सीटें जीती हैं. लोक सभा की 25 सीटों में से भी वह 22 सीटें जीती हैं. जगन कांग्रेस के पूर्व नेता हैं जिन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी नेतृत्व से भाव न मिलने पर 2010 में वाईएसआर कांग्रेस बना ली थी.

बात शुरु करने से पहले दो बातें आप समझ लीजिए, पहली, 2 सितंबर 2009 को जगन मोहन रेड्डी के पिता और आंध्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्‌डी का हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हुआ तो जगन मोहन रेड्‌डी ने खुले तौर पर राज्य सरकार के मुखिया का पद संभालने की मंशा जताई थी. दूसरी बात ये कि कांग्रेस ने उस वक्त जगन की बात को गंभीरता से नहीं लिया और उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.

जगन ने कांग्रेस को अफसोस की वजह दी है

आंध्र में जगन काफी मजबूती ये उभरे हैं. वो जगन जो कभी कांग्रेस के सांसद थे वो अब कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल बन सकते हैं. क्योंकि 2009 में कांग्रेस ने जगन को आंध्र प्रदेश का सीएम नहीं बनने दिया था. 2009 में जब जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी का निधन के हुआ था उस वक्त जगन की उम्र सिर्फ 37 साल की थी. कांग्रेस ने उस वक्त शायद जगन की कम उम्र की वजह से उन्हें भाव नहीं दिया. लेकिन 2019 तक जगन आंध्र प्रदेश के बड़े नेता बन चुके हैं. आपको बता दें कि जब जगन के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद कई इलाकों में लोगों ने आत्महत्या कर ली तो जगन मोहन ने ऐसे समर्थकों के परिवारों के प्रति सुहानुभूति जताने के मक़सद से ‘ओडारपू (सांत्वना) यात्रा’ निकाली थी.

जब जगन का सपना अधूरा रह गया

जगन मोहन रेड्डी ने अपने पिता के निधन के बाद पूरी कोशिश की थी कि कांग्रेस उन्हें उनके पिता की गद्दी सौंप दे. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया और इसका नतीजा ये हुआ कि जगन ने अलग पार्टी बनाकर राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरु कर दी. अब जब 2019 में शुरुआती सर्वे में वाईएसआर कांग्रेस बढ़त बनाती दिख रही है तब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस 2010 के अपने फैसला पर अफसोस कर सकती है.

जगन ने अपने पिता के निधन के साल भर बाद नवंबर-2010 में नई पार्टी बनाई थी. जब उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी तब वो कड़प्पा लोक सभा सीट से कांग्रेस सांसद थे. जगन ने अपनी सीट और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. नई पार्टी बनाने के बाद जब कड़प्पा लोक सभा सीट पर 2011 में उपचुनाव हुए तब जगन मोहन रेड्डी यहां से करीब पांच लाख वोटों से जीते थे. चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस और जगन में अदावत शुरु हो गई. नतीजा ये हुआ कि जगन मोहन रेड्डी को अपने पिता के मुख्यमंत्रित्व काल में आय से अधिक संपत्ति जुटाने के आरोप में मई-2012 को 16 महीने के लिए जेल जाना पड़ा.

जेल में रहने हुए भी जीता चुनाव

2012 की बात है जब आंध्र में एक लोकसभा और 18 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. उस वक्त जगन मोहन रेड्डी जेल में थे. आंध्र के सीमावर्ती इलाकों के कांग्रेस सांसद विधायकों के जगन के समर्थन में इस्तीफा देने के बाद यहां चुनाव हुए थे और आपको हैरान होगी ये जानकर कि इन चुनावों में वाईएसआर कांग्रेस ने एक लोकसभा और 18 में से 15 विधानसभा की सीटें जीत ली थीं. जगन मोहन रेड्डी की पार्टी स्थापना के दो साल बाद ही राज्य की तीसरी बड़ी पार्टी बन गई थी. मौजूदा चुनाव की बात करें तो वाईएसआर कांग्रेस राज्य की बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.

आंध्र में इतने लोकप्रिय कैसे हुए जगन ?

जगन के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी 2003 में आंध्र के गांव गांव घूमे थे. उन्होंने करीब 1,450 किलोमीटर पैदल यात्रा की थी.  इस यात्रा को उन्होंने ‘प्रजा प्रस्थानम पदयात्रा’ नाम दिया था. उन्होंने इस दौरान हर वर्ग से संवाद किया और लोगों की समस्याओं के समाधान का वादा किया था. ‘प्रजा प्रस्थानम पदयात्रा’ का ही असर था कि 2004 कांग्रेस जबरदस्त तरीके से जीती और वाईएस राजशेखर रेड्‌डी मुख्यमंत्री बने. जगन ने कड़प्पा से नवंबर-2017 से ‘प्रजालासोकम प्रजासंकल्प पदयात्रा’ शुरू की. लगभग 180 दिन तक उन्होंने 3,648 किलोमीटर यात्रा इसी साल जनवरी में ही यात्रा पूरी की. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने करीब एक साल दो महीने सड़कों पर बिताए हैं. उन्होंने 13 जिले और 175 में से 134 से ज्यादा विधानसभा सीटों तक वो गए हैं. उनकी इस पद यात्रा ने उन्हें राज्य में काफी पापुलर कर दिया है जिसका फायदा उन्हें मिला.

इतना ही नहीं सर्वे में वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश की 25 में से 23 लोक सभा सीटें जीत सकती है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर ऐसा हो गया तो कांग्रेस कितनी बड़ी मुसीबत में पड़ सकती है. 11 अप्रैल को पहले चरण के तहत राज्य की सभी सीटों पर मतदान होना हैं और अगर जगन जीतते हैं तो कांग्रेस को अपनी उस गलती का अहसास हो सकता है जो उसने 2010 में की थी.

टीडीपी क्यों हुआ इतना नुकसान?

2013 से 2017 तक टीडीपी और एनडीए गठबंधन में थे लेकिन चंद्रबाबू नायडू काफी समय से आंध्र प्रदेश के लिए मोदी सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे. केंद्र ने उनके विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को ठुकरा दिया था. जिसके बाद  टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को झटका देते हुए एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था. टीडीपी के मंत्री ने केंद्र सरकार से और बीजेपी के मंत्री ने आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन एनडीए से अलग होने पर टीडीपी को नुकसान ही उठाना पड़ा. 

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