जनादेश क्या है ये 23 मई को स्पष्ट होगा लेकिन सोनिया गांधी ने सरकार गठन के लिए गुणा गणित का काम शुरु कर दिया है. विपक्षी खेमा किसी भी हालत में एनडीए की सरकार बनने से रोकना चाहता है और इस स्थिति को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट कर दिया. जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर कांग्रेस को पीएम पद नहीं मिलता है, तो इस बात से उसे कोई परेशानी नहीं होगी.
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले विपक्षी खेमे में हलचल तेज हो गई है. चुनाव के प्रचार में लगभग गायब रहीं यूपीए अध्यक्ष सक्रिय हो गई हैं. अमित शाह और नरेंद्र मोदी से निपटने के लिए सोनिया गांधी ने खुद कमान संभाली है और वो खुद नेताओं से बात कर रही हैं. सोनिया की इस मोर्चाबंदी में डीएमके सर्वेसर्वा एम.के.स्टालिन, कांग्रेस के सहयोगी और दिग्गज नेता शरद पवार और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ मदद क रहे हैं.
सोनिया गांधी ने सिर्फ कांग्रेस खेमे के बल्कि एनडीए के घटक दलों के नेताओं से भी संपर्क कर रही हैं. जिसमें जेडीयू मुखिया नीतीश कुमार और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान भी शामिल हैं. यानी सोनिया गांधी ने एनडीए को तोड़ने के लिए तैयारी भी शुरु कर दी है. कांग्रेस किसी भी हाल में बीजेपी की सरकार बनने नहीं देना चाहती और इसलिए मोर्चेबंदी में कोई चूक नहीं की जा रही. यही कारण है कि कांग्रेस ने एक बड़ा त्याग कर दिया है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि अगर कांग्रेस को पीएम पद नहीं मिलता है, तो इस बात से उसे कोई परेशानी नहीं होगी. इससे पहले तक पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी इस पद की दौड़ में सबसे प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे. आपको बता दें कि सोनिया गांधी ने पांचवे चरण के बाद से ही विपक्षी नेताओं से संपर्क कर रही हैं और इसमें उनकी मदद कर रहे हैं डीएमके मुखिया स्टालिन. सोनिया ने कई नेताओं को चिट्ठी लिखी है.
सोनिया गांधी ने बांटी जिम्मेदारी
खबर ये भी आ रही है कि सोनिया गांधी ने एमपी के सीएम कमलनाथ के जरिए ओडिशा के सीएम और बीजू जनता दल (बीजेडी) अध्यक्ष नवीन पटनायक और तेलंगाना के सीएम व तेलंगाना राष्ट्र समिति के मुखिया के.चंद्रशेखर राव को भी फोन किया है. कमलनाथ को इस काम पर इसलिए लगाया गया है क्योंकि कमलनाथ पटनायक के साथ दून स्कूल में पढ़ चुके हैं.
डीएमके मुखिया स्टालिन को केसीआर और वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी को मनाने का काम सौंपा गया है. स्टालिन ने केसीआर से मुलाकात भी की है. वहीं शरद पवार बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को साध रहे हैं. क्योंकि इन दोनों से पवार के अच्छे रिश्ते हैं. सोनिया के एक्टिव मोड में आने की वजह से ये तो तय है कि एनडीए की अगर कम सीटें रहती हैं तो फिर सरकार गठन को लेकर क्या क्या तरीके हो सकते हैं. चुनाव के अंतिम समय में सोनिया अचानक से एक्टिव इसलिए हुईं हैं, क्योंकि विपक्ष के ज्यादातर नेताओं के बीच उनकी अच्छी पैठ है. सोनिया गांधी ने ऐसी ही सूझबूझ 2004 में दिखाई थी और उसका नतीजा ये हुआ कि 10 साल यूपीए की सरकार रही. अब एक बार फिर सोनिया तैयार हो गई हैं