आधे से ज्यादा चुनाव खत्म
हो चुका है. अब तब ये स्पष्ट हो चुका है कि अगली सरकार किसी बनेगी. लेकिन क्या
अगली सरकार राहुल गांधी बना रहे हैं. ये प्रश्न इसलिए है क्योंकि राहुल गांधी ने
अपने भाषणों में लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अगली सरकार कांग्रेस बना और
उसके सहयोगी दल बना रहे हैं
सबसे पहले तो आप ये समझ लीजिए कि बीजेपी और कांग्रेस की कैंपेनिंग में बुनियादी फर्क ये है कि कांग्रेस उन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है जिसकी वजह से 2014 में बीजेपी की सरकार बनी. वहीं बीजेपी उन मुद्दों को लेकर मैदान में है जो गिरिराज सिंह जैसे बीजेपी नेता उठाते रहे हैं. यानी पाकिस्तान, वंदे मातरम आदि आदि. ऐसे में जनता किसे वोट देगी ये पिछले विधानसभा चुनाव चुनावों के नतीजों से अनुमान लगा सकते हैं.
क्षेत्रिय दलों की होगी बड़ी भूमिका
दूसरी बात ये है कि इस बार क्षेत्रीय पार्टियों का उभार होना तय है. ऐसे में ये पार्टियों किसकी तरफ झुकेंगी ये तय करेगा कि राहुल गांधी की भूमिका 23 मई के बात क्या होने वाली है. एक एक करके अगर देखें तो यूपी में सपा-बसपा गठबंधन बढ़त बनाए हुए है और दोनों ही पार्टियों के नेता मोदी सरकार के विरोध में खड़े हैं. मायावती को लेकर संशय है लेकिन अगर मायावती बीजेपी के खेमे में जाती भी है तो ये मोदी शैली की सरकार चलाने के लिए एक दुरूह स्वपन सरीखा होगा.
दूसरा राज्य है बिहार, जहां महागठबंध ने जातियों का ऐसा जोड़ बनाया है जिसका तोड़ बीजेपी के पास अभी नजर नहीं आ रहा है. छत्तीसगढ़ में बीते विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो बीजेपी कहीं दिखाई नहीं देती. मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए 2014 की कामयाबी दोहराना आसान नहीं है. राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के टक्कर है लेकिन क्लीन स्वीप मुमकिन नहीं है क्योंकि इस राज्य का इतिहास है कि जो सत्ता में होता है लोकसभा चुनाव में उसे बढ़त मिलती है.
कैसे भरपाई करेगा भाजपा?
हिंदी पट्टी के ये बड़े राज्य अगर बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी करते हैं और यहां पर उसे नुकसान होता है तो फिर बीजेपी इसके लिए कहां जाएगी. जाहिर से बात है पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दक्षिण भारत के राज्यों में. तो इन राज्यों को भी समझ लीजिए. पश्चिम बंगाल की 42 की 42 सीटों पर ममता पूरी ताकत से लड़ रही हैं और वो यहां बीजेपी को बहुत कामयाब होने देंगी ये मुश्किल है. पूर्वोत्तर में 25 सीटें हैं और वहां पर एनआरसी का मुद्दा बीजेपी को हिन्दी पट्टी के नुकसान की भरपाई करने नहीं देगा.
ओडिशा में नवीन पटनायक कितने भी एंटी इनकमबेंसी के शिकार हो जाए बीजेपी यहां पर इतनी सीटें नहीं जीत सकती की बीजेडी को परास्त कर दे. दक्षिण भारत में इस बार उसके लिए अच्छे संकेत इसलिए नहीं है कि यहां कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन है और यहां नुकसान ही होगा. तमिलनाडु में एआईएडीएमके जयललिता के बाद कमजोर हुई है और उसके लिए डीएमके को चुनौती देना आसान नहीं है. बीजेपी ने एआईएडीएमके के साथ गठबंधन किया है. केरल में राहुल खुद वायनाड से लड़ रहे हैं यहां बीजेपी के लिए कोई गुंजाइश है नहीं और कांग्रेस गेन करेगी. आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस बढ़त में है जो कांग्रेस के साथ इसलिए जा सकती है क्योंकि राहुल गांधी ने राज्य को स्पेशल स्टेटस देने का वादा किया है जो आंध्र चाहता था. तेलंगाना में चंद्रशेखर राव भी अपने पत्ते खोल नहीं रहे हैं.
बीजेपी को कहां हो सकता है फायदा
महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बीजेपी के पास संभावना तो है लेकिन पंजाब में कैप्टन इतनी आसानी से बीजेपी को जीतने देंगे नहीं क्योंकि यहां अभी भी कांग्रेस मजबूत है. हरियाणा, महाराष्ट्र के ताजा समीकर इस ओर इशारा करते हैं कि यहां पर बीजेपी को नुकसान और कांग्रेस को थोड़ा बहुत फायदा होगा. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी बढत में दिखाई देती है. हालांकि इसमें झारखंड भी एक अहम राज्य है लेकिन यहां रघुवर दास के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी का फैक्टर है.
तो लब्बोलुआव ये है कि 23 मई को बीजेपी को नुकसान होगा ये तो तय है लेकिन कांग्रेस को कितना फायदा होगा इसको लेकर सवाल है. अगर राहुल गांधी क्षेत्रीय दलों को जोड़ने में कामयाब हो गए जोकि मुमकिन इसलिए लगता है क्योंकि मोदी टाइप पॉलिटिक्स बहुत से दलों को भा रही है और वो राहुल के साथ आ सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो राहुल सरकार बनाने में कामयाब होंगे. लेकिन ये होगा तभी तब कांग्रे, 125+ और बीजेपी 200- रहती है.