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रफाल पर राहुल ने SC में खेद व्यक्त किया, माफी नहीं मांगी

रफाल मामले में लगातार राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेर रहे हैं. वो अपने रैलियों में लोगों से ‘चौकीदार चोर है’ के नारे लगवा रहे हैं. बीजेपी ने राहुल गांधी की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की है औऱ सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को दो बार नोटिस भी जारी किया है. लेकिन राहुल ने दोनों बार सिर्फ खेद जताया.

राहुल गांधी ने रफाल मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ कहा था इसके बाद बीजेपी ने आपत्ति जाहिर की थी. अब रफाल विमानों की ख़रीद से जुड़े मामले में अपने बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में स्पष्टीकरण दिया है. उनकी तरफ से सोमवार को नया हलफ़नामा भी दायर किया गया. इसमें भी उन्होंने अपने बयान के लिए माफ़ी नहीं मांगी है. सिर्फ खेद व्यक्त किया है.

राहुल गांधी ने अपने नए हलफ़नामे में शीर्ष अदालत से कहा है कि इस मामले में उनके ख़िलाफ़ दायर अदालती अवमानना का केस ख़त्म किया जाए. क्योंकि याचिकाकर्ता और भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने सिर्फ़ अपने निजी राजनीतिक फ़ायदे के लिए यह केस दायर किया है. वे अदालत को जबरन विवाद में घसीट रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पिछले हलफ़नामे की तरह फिर दोहराया कि उन्होंने जो बयान दिया वह ‘चुनाव प्रचार की गर्मी’ में दिया था.

पहले भी राहुल गांधी ने मामला खत्म करने का अनुरोध किया था लेकिन इसे कोर्ट ने ठुकरा दिया था. उस वक्त मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि,

‘राहुल गांधी ने अपने बयान में ग़लत तरीके से अदालत का हवाला दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के नाम अदालती अवमानना का नोटिस करते हुए 30 अप्रैल की तारीख दी है. यहां आपको बता दें कि बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए राहुल गांधी से स्पष्टीकरण मांगा था. मीनाक्षी ने 12 अप्रैल को अदालत में अर्ज़ी लगाई थी. उनकी तरफ़ से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी अदालत में पेश हुए थे.

क्या है मामला ?  

सुप्रीम कोर्ट ने रफाल मामले में पहले केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी. इस सौदे की प्रक्रिया या कीमत आदि के मसले पर सुनवाई से इंकार कर दिया था. लेकिन फिर याचिकाकर्ताओं ने कुछ दस्तावेज़ पेश कर इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की. इस पर सरकार की ओर से दलील दी गई कि अदालत में पेश गोपनीय दस्तावेज़ चोरी से हासिल किए गए हैं. इन्हें सबूत नहीं माना जा सकता. लेकिन अदालत ने केंद्र सरकार की दलील को ख़ारिज़ कर दिया. साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश दस्तावेज़ के आधार पर मामले में पुनर्विचार को भी राज़ी हो गई. राहुल गांधी ने इसी फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री पर टिप्पणी की थी.

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