राहुल का ये ‘कॉम्बिनेशन’ कांग्रेस को सत्ता में ला सकता है ?

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लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस कोई भी चूक करना नहीं चाहती. खासकर उन राज्यों में जहां उसको अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. यही कारण है कि राहुल गांधी ने पार्टी के कई कद्दावर नेताओं को इस बार चुनाव मैदान में उतारा है.

लोकसभा चुनाव 2019 : पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रर्दशन बेहद खराब रहा था. कई दिग्गजों ने अपनी सीटें गंवा दी थीं. यही कारण है कि इस बार राहुल गांधी ने पार्टी के उन कद्दावर नेताओं को टिकट दिया है जो लंबे समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय थे. इन नेताओं में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हैं, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा भी हैं. इन नेताओं को मैदान में उतारने के पीछे मकसद ये है कि नए-पुराने का कॉम्बिनेशन बनाया जा सके.

दिग्विजय सिंह, भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी

दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मजबूत नेता माने जाते हैं. उन्होंने 10 साल तक मध्य प्रदेश की कमान संभाली है और वो जानते हैं कि सूबे का माहौल कैसा है. दिग्विजय सिंह 2003 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़े हैं. लेकिन इस बार 72 साल के दिग्विजय को 16 साल बाद पार्टी ने भोपाल से टिकट दिया है. हालांकि 2003 में मध्य प्रदेश से सत्ता गंवाने के बाद दिग्विजय कांग्रेस के लिए कई अहम मोर्चों पर तैनात रहे और मध्यप्रदेश में दोबारा कांग्रेस की सरकार लाने में उनकी भी बड़ी भूमिका मानी जाती है. इस बार पार्टी ने उन्हें भोपाल की उस सीट से टिकट दिया है जो बीजेपी की सीट मानी जाती है. बीजेपी यहां से लगातार 30 सालों से विजयी होती आ रही है. भोपाल में दिग्विजय सिंह को बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा से मुकाबला करना है.

शीला दीक्षित, उत्तर पूर्व दिल्ली से प्रत्याशी

सब जानते हैं कि दिल्ली की राजनीति में शीला दीक्षित का कद क्या है. वो तीन बार लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं हैं और उनका यहां शानदार पकड़ है. ये बाद अलग है कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली में आप के उभार के बाद उनकी सियासी जमीन खिसकी है. लेकिन इस बार कांग्रेस ने सीनियर नेता शीला दीक्षित को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है. विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल जैसे पदों पर रह चुकीं 81 वर्षीय शीला दीक्षित दिल्ली में कांग्रेस की सबसे कद्दावर नेता मानी जाती हैं. शीला का दिल्ली की उत्तर-पूर्व लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी से मुकाबला होगा. उनके साथ-साथ दिल्ली से जेपी अग्रवाल और अजय माकन जैसे पुराने नेताओं को भी मौका मिला है. जिनको शीला दीक्षित की अगुवाई में चुनाव लड़ना है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सोनीपत लोकसभा सीट

71 साल के भूपेंद्र सिंह हुड्डा 9 साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं. राज्य की राजनीति में सक्रिय थे लेकिन इस बार कांग्रेस ने उन्हें सोनीपत से टिकट दिया है. राज्य से केंद्र तक कई अहम पदों पर रहे हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरों में शुमार हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा में एक भी सीट नहीं मिली थी, इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी. ऐसे में उनके सामने भी सत्ता वापसी की चुनौती होगी. क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हुड्डा चाहेंगे कि इस बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करे.

युवा और अनुभव का कॉम्बिनेशन

राहुल गांधी ने जब कांग्रेस की कमान संभाली थी तब कहा जा रहा था कि वो नए-पुराने का कॉम्बिनेशन कैसे बनाएगें. क्योंकि पार्टी में कई बुजुर्ग नेता थे जिनकी नाराजगी सामने आ रही थी. लेकिन 2018 आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में जीत के बाद राहुल गांधी ने एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नए-पुराने का बखूबी कॉम्बिनेशन बनाने में कामयाब रहे. कमलनाथ और अशोक गहलोत को राज्यों की कमान सौंपी. पायलट और सिंधिया को भी जिम्मेदारी दी जिससे दिखा कि कोई नाराज न हो. लोकसभा चुनाव मेें भी टिकट बांटने में इस बात का ख्याल रखा गया.

नए-पुराने का यही काम्बिनेशन दिखाता है कि राहुल गांधी पूरा होमवर्क करके मैदान में हैं और लोकसभा चुनाव में वो ये जानते हैं कि पार्टी को खड़ा करना कितना जरूरी हो गया है.

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