भारत इंटरनेट डेटा सस्ता होने के बाद हुई डिजिटल क्रांति का असर लोकसभा चुनाव में दिखाई दे रहा है. एक तरफ फेक न्यूज के असर पर अंकुश लगाने की कोशिश हो रही, लेकिन दूसरी तरफ इन व्हाट्सऐप और फेसबुक का जमकर इस्तेमाल हो रहा है जिसपर झूठी और भ्रामक खबरें भेजी जा रही हैं.
लोकसभा चुनाव के समय में इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके झूठी जानकारी और गलत सूचनाएं संदेश, तस्वीर और वीडियो के माध्यम से बड़े पैमाने पर शेयर की जाती हैं. ऐसा दुनिया भर में देखने को मिला है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकसभा चुनाव हो रहा है और इसमें सोशल मीडिया का इस्तेमाल खूब बढ़ रहा है.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ा सोशल मीडिया का क्रेज
ग्रामीण इलाकों में 2014 के इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, दुनिया में सस्ती मोबाइल डेटा क़ीमतों के चलते यह और बढ़ता जा रहा है. ऐसे में चुनाव से पहले फेसबुक ने गुमराह करने वाले यूजरों के सैकड़ों अकाउंट और उनसे संबंधित पेजों को हटाया है.
व्हाट्सऐप ने एक नई सेवा शुरू की है जिसके तहत यूजर्स की भेजी गई रिपोर्ट की सत्यता की जांच करेगी और इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर गलत जानकारी शेयर करने के मामलों का अध्ययन करेगी.
भारत में इलेक्शन के वक्त क्या हो रहा है ?
लोकसभा चुनाव 2019 में हिस्सा में 90 करोड़ मतदाता वोट करेंगे. इनके लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक दल- भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस इनको प्रभावित करने के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कर रही है.हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव अभियान शुरू करने से पहले ही, बीजेपी की योजना अपने व्हाट्सऐप अभियान से करीब नौ लाख लोगों को जोड़ने की थी.
कांग्रेस, अपने कैंपेन का कंटेंट फेसबुक पर अपलोड करने के बाद उसे व्हाट्सऐप के जरिए लोगों के बीच फैला रही है. हैरानी होगी आपको ये जानकर की दोनों राजनीतिक दलों पर झूठी और गुमराह करने वाली जानकारियों को ऑनलाइन प्रसारित करने का आरोप है.
फेसबुक ने की संदिग्ध पेजों पर कार्रवाई
यही कारण है कि 1 अप्रैल को फेसबुक ने कांग्रेस पार्टी से संबंधित कहे जाने वाले 687 पेज और अकाउंट को हटाने का फैसला लिया है. बीजेपी का समर्थन करने वाले करीब 200 पेज और अकाउंटों को भी हटाया गया है, हालांकि फेसबुक ने इसकी पुष्टि नहीं की है. इस रह की कार्रवाई लगातार हो रही है. और इसका कारण ये है कि दोनों ही राजनीति दल व्हाट्सऐप और फेसबुक का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं.