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‘अहीर रेजिमेंट’ क्या ये वादा पूरा कर सकते हैं अखिलेश यादव ?

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सपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया गया है. घोषणापत्र में अखिलेश यादव ने अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट बनाने का वादा किया है. क्या अखिलेश यादव अपना ये वादा पूरा कर सकते हैं. और क्या अखिलेश यादव को अपना कोर वोटर छिटकने का डर सता रहा है. और क्या अहीर रेजिमेंट बनाने की घोषणा दूसरी पिछड़ी जातियों की नाराजगी सपा को मुश्किल में नहीं डालेगी ?

अखिलेश यादव की सपा मायावती की बसपा से गठबंधन करके चुनाव मैदान में है. अखिलेश यादव दलित और पिछड़ों का गठजोड़ करके सत्ता तक पहुंचने की कोशिशों में लगे हैं. इन्हीं कोशिशों का हिस्सा है वो घोषणा पत्र जिसमें उन्होंने ‘अहीर रेजिमेंट’ बनाने की घोषणा की है. यहां सवाल ये है कि जब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव देश के बेहद प्रभावशाली रक्षा मंत्री रह चुके हैं और वो भी अहीर रेजिमेंट नहीं बना पाए तो अब क्या ये मुमकिन है.

क्या ‘अहीर रेजिमेंट’ बन सकती है ?

सपा के इस एलान के बाद ये सवाल पूछा जा रहा है कि अगर अहीर रेजिमेंट जैसा कुछ बनना मुमकिन होता, तो मुलायम सिंह यादव ऐसा पहले ही कर चुके होते. मौजूदा वक्त में देश में अब किसी जाति के नाम पर रेजिमेंट बनाए जाने पर रोक है. सपा ने जो घोषणापत्र जारी किया है उसकी शुरुआत समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के इस वक्तव्य से की है,

‘गरीबी के खिलाफ लड़ाई एक धोखा है, जब तक जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव के खिलाफ लड़ाई न हो.’

लेकिन क्या लोहिया होते तो वो चाहते कि किसी विशेष जाति के नाम पर रेजिमेंट का एलान किया जाए. लोहिया का उल्लेख करने वाली सपा अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट बनाने की बात अपने चुनाव घोषणापत्र में लेकर आई है. ऐसे समय में जब सपा के ऊपर यादव का दल होने के आरोप लगते रहे हैं, ऐसे में कौन सी ऐसी राजनीतिक मजबूरी है कि अखिलेश को अहीर रेजिमेंट की बात करनी पड़ी है.

अहीर रेजिमेंट का जिक्र करके अखिलेश कुर्मी, गूजर, लोध, सोनार, बरई, कोहार, कहांर, बढ़ई, लोहार, भर, केवट, मल्लाह सहित उत्तर प्रदेश की अन्य 75 पिछड़ी जातियों का वोट नहीं चाहते हैं कयां. क्योंकि अगर एक विशेष जाति की बात आप करेंगे तो बाकी पिछड़ी जातियों का क्या होगा. क्या वो नाखुश नहीं होंगी. ऐसा लगता है कि अहीर रेजिमेंट के जरिए अखिलेश उन यादव मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं जो उनसे मजबूरवश छिटक रहा है.

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