बिहार में सभी सात चरणों में मतदान होगा. इस बाद बिहार में दो गठबंधनों का मुकाबला है. एक तरफ एनडीए है और दूसरी तरफ महागठबंधन है. बिहार में जातीय गणित हावी रहता है और गठबंधन बनाने का आधार जातियां होती हैं. चुनाव से पहले एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स यानी एडीआर ने यहां एक सर्वे किया है जिसमें कई महत्वपूर्ण बातें निकलकर सामने आईं हैं
एडीआर ने अपने सर्वे में ये समझने की कोशिश की है लोग इस बार किन मुद्दों पर वोट करेंगे. बिहार में इस बार मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है. लिहाजा इस सर्वे के आंकड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. इस सर्वे के अनुसार बिहार के मतदाताओं के लिए रोज़गार, सिंचाई और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े मुद्दे सबसे अहम हैं.
- 49.95% लोगों के लिए रोज़गार.
- 41.43% लोगों के लिए सिंचाई.
- 39.09% लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं.
सर्वे में एडीआर ने इस बार की गहन पड़ताल की कि मतदाता किस आधार पर वोट करेगा. बिहार में कोई मतदाता बूथ पर वोट देने जाता है तो किस तर्क के आधार किसी प्रत्याशी या पार्टी को पसंद कर वोट करता है? ये सर्वे 2018 मे किया गया था. सर्वे में बिहारी मतदाताओं ने कहा कि वो अगर विधानसभा के लिए वोट करते हैं तो सबसे पहले ये देखते हैं कि मुख्यमंत्री का प्रत्याशी कौन है. इसके बाद प्रत्याशी की पार्टी को देखते हैं.
सर्वे में ये भी पता चला कि बिहार के करीब 10 फीसदी वोटर कैश, शराब और मिलने वाले उपहार से प्रभावित होकर भी वोट करते हैं. इस सर्वे में 98 फीसदी लोगों ने कहा कि वो आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को वोट नहीं करते. 98 फीसदी में से 35 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो ये मानते हैं कि उन्होंने अपराध से जुड़े लोगों को वोट इसलिए किया क्योंकि उन्होंने काम किया है.
इस सर्वे में एडीआर ने 87 फीसदी गांव के इलाके और 13 फीसदी शहर के लोगों को शामिल किया गया था. सर्वे के सैंपल के हिसाब से 64 फीसदी पुरुष और 36 फीसदी महिलाएं शामिल हुईं. सर्वे में जातिया का भी ख्याल रखा गया. 67 फ़ीसदी सवर्ण, 17 फ़ीसदी ओबीसी, 15 फ़ीसदी एससी और एक फ़ीसदी एसटी समुदाय के लोंगो को सर्वे में शामिल किया गया.