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अयोध्या: प्रियंका के लिए कितनी ‘कठिन है डगर पनघट की’ ?

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प्रियंका गांधी की अयोध्या यात्रा के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में उत्साह है. कांग्रेसियों का कहना है कि इस बार पार्टी 2009 जैसा करिश्मा करेगी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की अयोध्या यात्रा को लेकर विवाद भी हुआ लेकिन ये समझना जरूरी है कि आने वाले समय में यहां प्रियंका कांग्रेस के लिए क्या कर पाएंगी ?

प्रियंका गांधी की अयोध्या यात्रा को लेकर अखिल भारतीय संत समिति ने सवाल खड़े किए और कहा कि कांग्रेस राम जन्मभूमि पर अपना रुख स्पष्ट करने के साथ प्रियंका गांधी के हिंदू हैं या नहीं इसके बारे में भी स्पष्ट करें. इस अलावा मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी कहा था कि ‘ प्रियंका की इस यात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, चुनावी माहौल में ये सब चलता रहता है’

लोगों से किया संवाद

यहां सवाल ये है कि प्रियंका गांधी की अयोध्या यात्रा कितनी कामयाब रही. प्रियंका ने शुक्रवार दोपहर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर कुमारगंज से अपने यात्रा की शुरुआथ की थी. रायबरेली से फैजाबाद की ओर जाने वाली सड़क पर ही कुमारगंज मौजूद है जहां पर प्रियंका गांधी का जोरदार स्वागत किया गया. हर उम्र वर्ग के लोग प्रिंयका का स्वागत करने के लिए मौजूद थे

हनुमानगढ़ी में पूजा-अर्चना

प्रियंका गांधी गांधी 2009 जैसा करिश्मा करने की उम्मीद लेकर अयोध्या पहुंची थीं. वो अयोध्या जहां पर 1977 तक कांग्रेस काफी मजबूत रही लेकिन 1991 से लेकर 2014 तक पार्टी यहां उबर नहीं पाई. सिर्फ 2009 में यहां से निर्मल खत्री ने जीत दर्ज की थी. नहीं तो 1991 के बाद हुए चार लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट बीजेपी के पास रही है.  बाद से यहां भारतीय जनता पार्टी चार बार जीत हासिल कर चुकी है.

मिला जनसमर्थन

अयोध्या में कोई भी प्रत्याशी लगातार दो बार जीत दर्ज नहीं कर पाया है इसलिए इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि वो यहां जीतेगी. कांग्रेस ने यहां से एक बार फिर निर्मल खत्री को टिकट दिया है. बीजेपी के मौजूदा सांसद लल्लू सिंह और समाजवादी पार्टी के आनंद सेन यहां पर मैदान में हैं. प्रियंका गांधी के स्वागत की ज़बरदस्त तैयारियां और कुमारगंज से हनुमानगढ़ी तक जो भीड़ थी उससे कांग्रेस जरूर खुश हुई होगी.

प्रियंका गांधी की गाड़ियों का क़ाफ़िला कुमारगंज थोड़ी देरी से पहुंचा था लेकिन लोगों में उत्साह काफी था. कुछ जगहों पर पर लोगों की नाराजगी भी देखने को मिली और लोगों का कहना था कि ‘नेता अब वोट मांगने के लिए आ रहे है’.

प्रियंका गांधी ने अपनी अयोध्या यात्रा में नुक्कड़ सभाएं कीं, चौपाल आयोजित की गईं, अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मुलाकात की, दलित वोटरों को टारगेट किया, औरतों का भरोसा जीतने की कोशिश की.

अयोध्या के जातिगत समीकरण के बारे में बताने से पहले आपको ये बता दें कि प्रियंका गांधी की ये यात्रा कांग्रेस के मिशन-30 का हिस्सा है और वो इन यात्राओं और रोड-शो के ज़रिये फ़ैज़ाबाद, बहराइच, गोंडा, बाराबंकी और दूसरी उन सीटों पर फिर से जीत हासिल करना चाहती हैं जो 2009 में उसके पास थीं. अयोध्या फैजाबाद लोकसभा सीट पर दलित और मुसलमान मतदातओं की संख्या करीब 8 लाख है और प्रियंका की रणनीति है वो इन मतदाताओं को कांग्रेस में खींच लाएं.

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