पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है. भाजपा यहां पर 2014 की सफलता दोहराने की कवायद में लगी है. प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस पश्चिमी यूपी के जाट मतदाताओं और गन्ना किसानों को लुभाने का है. लेकिन यहां का हवा का रुख क्या है ये समझना जरूरी है.
पश्चिमी यूपी में बागपत एक महत्वपूर्ण सीट है. यहां से इस बार रालोद के मुखिया अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी मैदान में हैं. जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कद्दावर जाट नेता हैं लेकिन 2014 में उन्हें बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने बागपत से हरा दिया था. इस बार भी यहां पर बीजेपी ने सत्यपाल सिंह को टिकट दिया है.
बीजेपी-गठबंधन में मुकाबला
जयंत को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का समर्थन मिला हुआ है. पिछली बार ऐसा नहीं था. इस बार हवा रुख भांपना आसान नहीं है. क्योंकि लहर जैसा असर नहीं है. मोदी के समर्थन में लोग जरूर हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि 2014 जैसी बात हो. पश्चिमी यूपी में दलित मतदाता जो 2014 में मोदी के पक्ष में गया था वो 2019 में गठबंधन प्रत्याशी को समर्थन कर रहा है. मोदी की कामयाबी ये है कि अभी भी कुछ दलित तबकों में उनकी पकड़ बनी हुई है.
बंटे हुए हैं जाट मतदाता
जाट मतदाताओं की बात करें तो ये जयंत चौधरी की बात करते हैं और बुज़ुर्गों में अजित सिंह और उनके पिता चौधरी चरण सिंह को लेकर सहानुभूति दिखती है. जाटों में जो बुजुर्ग हैं वो जयंत के पक्ष में हैं युवा मतदाता शिकायत के साथ मोदी का समर्थन कर रहे हैं. यहां जाटों से बात करके आप ये समझ सकते हैं कि वो आखिरी वक्त में जयंत चौधरी और मोदी में बंट सकते हैं. अब किसके हिस्से कितना जाट वोट जाएगा ये 23 मई को साफ होगा.
मुसलमान वोट किधर जाएगा?
मुसलमान वोट की बात करें तो ये मायावती और अखिलेश के गठबंधन से मुतमईन है. कांग्रेस ने इस इलाक़े की 5 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया है. इसका फायदा गठबंधन को होता हुआ दिखाई दे रहा है. इस इलाके में मुलमान खुलकर ये तो नहीं कह रहे कि वो किसे वोट करेंगे लेकिन गठबंधन इनकी पहली पसंद है.
क्या है जातियों का समीकरण ?
जाट, मुसलमान और अनुसूचित जातियों के सहारे यहां पर पताका फहराई जा सकती है. इसी वोटबैंक की बदौलत बीजेपी 2014 में जीती थी. लेकिन इस बार ये गठबंधन के पक्ष में है. बागपत में कुल 16 लाख वोटर हैं जिनमें 4.5 लाख जाट, 3.5 लाख मुस्लिम और दो लाख अनुसूचित जाति से हैं. बीजेपी के पक्ष में युवा दिखाई देते हैं लेकिन जातियों का समीकरण ऐसा है जो बीजेपी के उम्मीदवार के सत्यपाल सिंह के लिए इस बार मुश्किल बन सकता है. गैर जाट वोट बीजेपी को मुश्किल से मिल पाएगा और जाट वोट भी बीजेपी गठबंधन में बंटा दिखाई देता है.