सरकारी स्कूलों की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है. सरकार दावे तो कर रही है कि स्कूलों की हालत बेहतर है लेकिन सच्चाई ये है कि सरकारी स्कूलों में 66 फीसदी फेल हुए छात्रों ने दोबारा दाखिला नहीं लिया.
दिल्ली में सालाना परीक्षाएं खत्म होने वाली हैं और नए सत्र में दाखिले शुरु होंगे. ऐसे में वक्त में जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ये दावा करती है कि दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर हुई है तब एक हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ लगाई.
HC ने मांगा था जवाब
हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक फेल हुए करीब 66 फीसदी बच्चों को दुबारा स्कूलों में दाखिला नहीं देने पर जवाब मांगा था. जिसके जवाब में शिक्षा निदेशालय ने बताया कि फेल हुए कुल 1,55,436 छात्रों में से 52,582 छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया और 29571 छात्रों को ओपन स्कूलों में भेजा गया है. इससे साफ पता चलता है कि बाकी बचे 73283 छात्र पूरी व्यवस्था से बाहर हो गए हैं.
दिल्ली में कुल 1029 सरकारी स्कूल हैं. इन स्कूलों में सुधार के लिए सरकार ने जो काम किए हैं वो नाकाफी हैं. नार्थ इस्ट दिल्ली के स्कूलों में कक्षा 12वीं में किसी भी फेल छात्र को दुबारा एडमिशन प्राप्त नहीं हुआ. कक्षा 9वीं में 115 छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया और कक्षा 11वीं में केवल 7 छात्रों को दाखिला दिया गया. सेंट्रल दिल्ली में 10वीं में केवल 7 फेल छात्र ही दुबारा प्राप्त कर पाए.
73283 बच्चे सिस्टम से बाहर क्यों हुए इसका जबाव सरकार के पास नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से स्कूलिंग सिस्टम से इतनी बड़ी संख्या में बाहर हुए फेल छात्रों को लेकर 22 अप्रैल तक जवाब मांगा है.
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को दिए जवाब में बताया गया कि कुल फेल हुए छात्रों में 52 हजार छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया. जबकि 30 हजार फेल छात्र जिन्हें एडमिशन नहीं मिला था, उनमें 11,226 छात्रों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के पत्राचार विभाग में भेजा गया, वहीं 18,345 छात्रों को एनआईओएस के जरिए दाखिला दिया गया.