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क्या मुमकिन है हर गरीब को सैलेरी ?

राहुल गांधी का इस्तीफा रोकने के लिए 120 से ज्यादा पदाधिकारियों ने इस्तीफा दिया

अपनी दादी इंदिरा गांधी के ‘गरीबी हटाओ’ की तर्ज पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्होंने दावा किया कि हम देश से गरीबी को मिटा देंगे.  देश से गरीबी मिटाने का संकल्प लेते हुए उन्होंने सोमवार को बड़ा ऐलान किया. उन्होंने घोषणा की कि कांग्रेस की सरकार बनी तो देश के 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों को हर साल 72,000 रुपये दिए जाएंगे.

हर गरीब को सैलेरी ?

साल 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण सबसे गरीब 75 फीसदी आबादी को 6540 से 7260 रुपये सालाना सहायता राशि देने का विचार है….. इस पर जीडीपी की कुल लागत 4.2 से 4.9 फीसदी होगी…. इसके लिए सामाजिक क्षेत्रों में दी जा रही सहायता योजनाओं की वापसी हो सकती है… मध्य वर्ग को दी जा रही सब्सिडी की भी वापसी हो सकती है… जिस पर जीडीपी का 2.07 फीसदी खर्च होता है…. केंद्र प्रायोजित टॉप टेन योजनाओं की भी वापसी होगी… जिस पर 1.38 फीसदी खर्च होता है. 

आईआईटी दिल्ली की अर्थशास्त्री रीतिका खेड़ा के विचार हैं कि इस स्कीम के तहत सिर्फ बुजुर्गों, दिव्यांगों, विधवाओं और गर्भवतियों को शामिल किया जाए….. इसके तहत 12000 रुपये पेंशन दिए जाए… और गर्भवतियों को प्रति बच्चा 6000 रुपये की मातृत्व मदद की जाए… इसकी लागत जीडीपी का कुल 1.5 फीसदी ही है.

एमआईटी के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी की माने तो पूरी आबादी को 13000 रुपये सालाना सहायता दी जाए…जीडीपी की कुल लागत  11 फीसदी….. फंडिंग का स्रोत …. इसके लिए पीडीएस और मनरेगा जैसी योजनाएं खत्म कर दी जाएं…

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री  मैत्रीश घटक की राय है कि पूरी आबादी को 13432 रुपये सालाना सहायता दी जाए… जीडीपी की कुल लागत 11 फीसदी…. फंडिंग के लिए गरीबों के अतिरिक्त अन्य आबादी को मिल रही सब्सिडी खत्म कर दी जाए…. साथ ही अतिरिक्त टैक्स भी जुटाएं … कुल लागत जीडीपी का 9 फीसदी..

आक्सफोर्ड के अर्थशास्त्री विजय जोशी की राय है कि 3500 सालाना पूरी आबादी को सहायता राशि दी जाए.. जीडीपी का 3.5 फीसदी…. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचकर जीडीपी का 1 फीसदी जुटाया जाए… कृषि आय पर टैक्स लगाकर 0.5 फीसदी जुटाया जाए… एक ही तरह की अलग अलग कल्याणकारी योजनाएं हटाकर 0.5 फीसदी जुटाया जाए.

यूसी बर्कली के अर्थशास्त्री प्रणब बर्धन की माने तो पूरी आबादी को 10000 रुपये सालाना सहायता राशि दी जा सकती है…… लागत जीडीपी का 10 फीसदी…. फंडिंग के लिए फालतू सब्सिडी हटाकर जीडीपी का 9 फीसदी बचाएं…. कंपनियों का टैक्स हॉलिडे खत्म कर जीडीपी का 3 फीसदी बचाएं….

(स्रोत – कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस)

इसके अलावा लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग के मुताबिक भारत में ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ स्कीम को लागू करने पर जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च आएगा, जबकि अभी कुल जीडीपी का 4 से 5 फीसदी सरकार सब्सिडी में खर्च कर रही है…

इकनॉमिक सर्वे 2016-17 में कहा गया था कि भारत में केंद्र सरकार की तरफ से प्रायोजित कुल 950 स्कीम हैं और जीडीपी बजट आवंटन में इनकी हिस्सेदारी करीब 5 फीसदी है. ऐसी ज्यादातर स्कीमें आवंटन के मामले में छोटी हैं और टॉप 11 स्कीमों की कुल बजट आवंटन में हिस्सेदारी 50 फीसदी है…

राजस्थान विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भाजपा ने इस स्कीम को शामिल किया था…. मोदी सरकार तेलंगाना सरकार की किसान मॉडल पर भी विचार कर रही है… इसके अलावा झारखंड बाकायदा इस स्कीम को शामिल भी किया गया है… मध्य प्रदेश की एक पंचायत में भी साल 2016 में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया था… वैसे फिनलैंड एक ऐसा देश है, जहां इसे पूरी तरह से लागू किया गया… इसके बाद इसे 25 देशों ने पूरी तरह से लागू किया.

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