Site icon Rajniti.Online

दलितों पर दांव क्यों लगा रहे हैं सभी राजनीतिक दल ?

dalit

लोकसभा चुनाव में क्षेत्रिय हों या फिर राष्ट्रीय सभी दल दलितों पर दांव लगा रहे हैं. प्रियंका गांधी ने मेरठ जाकर भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद से मुलाकात की, अखिलेश ने मायावती से गठबंधन किया, मायावती ने आंध्र और तेलंगाना में दक्षिण भारत के फिल्म स्टार पवन कल्याण की पार्टी जनसेना से गठबंधन किया. बीजेपी भी दलितों पर दांव खेल रही है.

यूपी में इस बार बीजेपी पर सपा-बसपा का गठबंधन भारी पड़ रहा है और इसका कारण भी दलित वोटबैंक है. ये वोटबैंक कभी कांग्रेस के पास था बाद में बसपा ने इस वोट बैंक में सेंध लगाई और अपनी जमीन तैयार की. अब दलितों के ही ही कई नेता आगे बढ़े रहे हैं.

गुजरात के वडनगर से स्वतंत्र विधायक जिग्नेश मेवाणी हों या पश्चिम यूपी में चंद्रशेखर आजाद हों इस सभी युवा नेताओं में इस कम्युनिटी का प्रतिनिधित्व करने का माद्दा है और ये बात मायावती को भी परेशान करेगी. दलितों से जुड़े हुए कुछ आंकड़े आपको दिखाते हैं.

चुनाव में दलित अहम क्यों ?

जहां दलित वहां सत्ता!

इस आंकड़ों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्यों सभी राजनीति दल दलितों को लुभाने में लगे हैं. ये आंकडे देखकर आप समझ सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में सभी राजनीति पार्टियों की किस्मत दलितों के हाथ में है. क्योंकि जिसके खाते में ये वोट जाएगा दिल्ली की गद्दी पर वही बैठेगा.  

Exit mobile version