लोकसभा चुनाव में क्षेत्रिय हों या फिर राष्ट्रीय सभी दल दलितों पर दांव लगा रहे हैं. प्रियंका गांधी ने मेरठ जाकर भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद से मुलाकात की, अखिलेश ने मायावती से गठबंधन किया, मायावती ने आंध्र और तेलंगाना में दक्षिण भारत के फिल्म स्टार पवन कल्याण की पार्टी जनसेना से गठबंधन किया. बीजेपी भी दलितों पर दांव खेल रही है.
यूपी में इस बार बीजेपी पर सपा-बसपा का गठबंधन भारी पड़ रहा है और इसका कारण भी दलित वोटबैंक है. ये वोटबैंक कभी कांग्रेस के पास था बाद में बसपा ने इस वोट बैंक में सेंध लगाई और अपनी जमीन तैयार की. अब दलितों के ही ही कई नेता आगे बढ़े रहे हैं.
गुजरात के वडनगर से स्वतंत्र विधायक जिग्नेश मेवाणी हों या पश्चिम यूपी में चंद्रशेखर आजाद हों इस सभी युवा नेताओं में इस कम्युनिटी का प्रतिनिधित्व करने का माद्दा है और ये बात मायावती को भी परेशान करेगी. दलितों से जुड़े हुए कुछ आंकड़े आपको दिखाते हैं.
चुनाव में दलित अहम क्यों ?
- देश में 20% है दलितों की आबादी, लुभाने के लिए दलों में रहती है होड़
- सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी दल को दलितों को समर्थन जरूरी
- 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में दलितों की आबादी करीब 17 %
- भारत की आबादी में से 20.14 करोड़ लोग दलित तबके से हैं
- 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियां अधिसूचित हैं
- 1241 जातीय समूहों को अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित हैं
- 2014 में बीजेपी को सत्ता में पहुंचाने में दलितों की अहम भूमिका
- 2019 में दलितों को अपने लुभाने में लगे हैं सभी राजनीतिक दल
- 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें SC/ST के लिए आरक्षित हैं
- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 80 में 41 सीटें जीती थी
- बीजेपी ने यूपी की सभी 14 आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी
- यूपी, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र और एमपी में दलितों के अहम भूमिका
- पंजाब में सबसे ज्यादा 31.9% दलित हैं यहां 34 सीटें आरक्षित हैं
- यूपी में करीब 20.7% दलित आबादी, 14 लोकसभा 86 विधानसभा सीटें आरक्षित
- बीजेपी ने 14 लोकसभा और 76 विधानसभा आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की
- हिमाचल में 25.2 फीसदी, हरियाणा में 20.2 दलित आबादी है
- एमपी में 6 फीसदी दलित और 15 फीसदी आदिवासी आबादी है
- पश्चिम बंगाल में 10.7, बिहार में 8.2, तामिलनाडु में 7.2 फीसदी दलित हैं
- आंप्र में 6.7, महाराष्ट्र में 6.6, कर्नाटक में 5.6, राजस्थान में 6.1 % दलित आबादी
जहां दलित वहां सत्ता!
इस आंकड़ों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्यों सभी राजनीति दल दलितों को लुभाने में लगे हैं. ये आंकडे देखकर आप समझ सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में सभी राजनीति पार्टियों की किस्मत दलितों के हाथ में है. क्योंकि जिसके खाते में ये वोट जाएगा दिल्ली की गद्दी पर वही बैठेगा.