राफेल मामला मोदी सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है. अब अटार्नी जनरल ने एक और गलती कर दी है. अब सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने माना है कि कैग रिपोर्ट के पहले तीन पन्ने गलती से छूट गए थे. कोर्ट में प्रशांत भूषण ने कहा है कि राफेल सौदे के दस्तावेज सार्वजनिक दायरे में हैं. इसपर सरकार का विशेषाधिकार नहीं है.
राफेल मामले में एक के बाद एक कई गलती मोदी सरकार की ओर से की गई हैं. अब मोदी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक और गलती का खुलासा हुआ है और इसे खुद अटॉर्नी जनरल ने कबूल किया है. 14 मार्च को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि,
‘राफेल डील केस में हमने सीएजी की रिपोर्ट सबमिट करने के दौरान एक गलती कर दी है. सीएजी रिपोर्ट के शुरुआती तीन पन्ने कोर्ट को नहीं सौंपे गए हैं. सरकार भी चाहती है कि सीएजी रिपोर्ट के पहले तीन पन्ने भी कोर्ट में ऑन रिकॉर्ड दस्तावेज के तौर पर शामिल किए जाएं’
यहां आपको ये भी जान लेना चाहिए कि अटार्नी जनरल इस मामले में एक हलफनामा जमा करके कोर्ट से कागजात लीक करनेवालों को सजा देने की गुजारिश कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो राफेल लड़ाकू विमान सौदे के तथ्यों पर गौर करने से पहले केंद्र ने जो आपत्तियां उठाई हैं उसपर फैसला करेंगे. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है.
क्या कहा अटार्नी जनरल ने?
हम आपको बता दें कि अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे से संबंधित दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया और न्यायालय से कहा कि संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर कोई भी इन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता. इसको लेकर प्रशांत भूषण ने कहा कि कागजात सार्वजनिक हो चुके हैं. इसलिए इसपर किसी का विशेषाधिकार नहीं है. भूषण ने कहा कि राफेल विमानों की खरीद के लिये दो सरकारों के बीच कोई करार नहीं है क्योंकि फ्रांस सरकार ने भारत को कोई संप्रभु गारंटी नहीं दी है.