महागठबंधन में कांग्रेस के शामिल होने की गुंजाइश खत्म हो गई है. बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन की खबरों पर पूर्णविराम लगा दिया है. अब अखिलेश-माया मिलकर ही बीजेपी का यूपी में मुकाबला करेंगे. लेकिन प्रियंका के आने के बाद कांग्रेस अपनी पूरी ताकत लगा रही है. सवाल ये है कि क्या इससे कांग्रेस को कुछ हासिल होगा ?
80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में सपा-बसपा का इस बार अभूतपूर्व गठबंधन हुआ है. रालोद को साथ लेकर अखिलेश यादव और मायावती ने गठबधंन को और मजबूत रूप दिया है. लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा नहीं बन पाई. मायावती ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस के साथ कोई गठजोड़ नहीं होगा. मायावती ने कहा है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में बसपा सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी लेकिन कांग्रेस के साथ कोई बात नहीं होगी. कांग्रेस ने भी मायावती के इस ऐलान के बाद कहा कि कांग्रेस को मायावती की जरूरत नहीं है. क्योंकि उनकी लोकसभा में एक भी सीट नहीं है.
बीजेपी को हो सकता है फायदा
यूपी में हुए इस गठबंधन में तीन सीटों के साझीदार राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होते वक्त सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि उनके गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है. उनका आशय ये था कि अमेठी-रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं. मायावती का रुख कांग्रेस को लेकर शुरु से ही स्पष्ट लग रहा था. और अब उन्होंने साफ कर दिया है कि कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी. जानकार लगातार कहते आए हैं कि अगर भाजपा को यूपी में रोकना है तो कांग्रेस और महागठबंधन को मिलकर या म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग से चुनाव लड़ना चाहिए. इसका कारण है कि इससे कांग्रेस भी 8 से 10 सीटें मिल जाएंगे और सभी दल मिलकर आसाम से 50 से 55 सीटें जीत जाएंगे. क्योंकि अगर यूपी में बीजेपी को 25 सीटें पर रोक दिया गया तो फिर दिल्ली बीजेपी के लिए दूर हो जाएगी.