राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर आदेश दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल गठित किया है. जिसमें तीन सदस्य हैं. मध्यस्थता पैनल में सदस्य के तौर पर श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू हैं वहीं मध्यस्थता बोर्ड के अध्यक्ष रिटायर जस्टिस मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्लाह हैं. मध्यस्थता पैनल आठ हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगा. और अगले हफ्ते से ये कार्रवाई शुरु हो जाएगी.
अदालत का आदेश है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया बंद कमरे में पूरी गोपनीयता के साथ पूरी की जाएगी. आदेश में ये भी कहा है कि मध्यस्थता की कार्रवाई अयोध्या में होगी. जब सुप्रीम कोर्ट ये फैसला सुना रहा था तो कोर्ट परिसर में करीब 100 लोग मौजूद थे. हिंदू महासभा के नेता स्वामी चक्रपाणि ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय का मंदिर है.
राम मंदिर का ये मामला लंबे वक्त से लटका हुआ है. अभी तक इस मामले में करीब 90 हजार पन्नों की गवाही इकट्ठा की गई है और ये गवाही अलग अलग भाषाओं में है. जिसमें अरबी, संस्कृत, फ़ारसी जैसी भाषाओं में ये गवाही है. इसे इंग्लिश में ट्रांसलेट करके सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया है.
कौन है हिंदुओं की तरफ और कौन मुसलमानों की तरफ:
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपीलें दायर की गईं हैं. इनमें से 6 याचिकाएं हिंदुओं की तरफ से हैं और 8 मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से हैं. मुख्य रूप से इस मामले में 3 पक्ष हैं.
- पहला पक्ष: पहला पक्ष तो मंदिर के भीतर बैठे हुए भगवान राम का है. राम की तरफ से विश्व हिंदू परिषद लड़ रहा है.
- दूसरा पक्ष: यह पक्ष है हिंदुओं के सबसे बड़े अखाड़े निर्मोही अखाड़े की तरफ से. निर्मोही अखाड़ा पिछले करीब सौ साल से इस जगह पर मंदिर बनवाने की लड़ाई लड़ रहा है.
- तीसरा पक्ष: तीसरा पक्ष मुसलमानों का है जो सुन्नी वक्फ बोर्ड है.
वीओ- ये फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाई. जस्टिस गोगोई के अलावा बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल थे…अदालत ने कहा है कि मध्यस्थता की कार्यवाही पर मीडिया रिपोर्ट नहीं कर सकेगा. औऱ ये महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इस मामले में मीडिया की भी बड़ी भूमिका रही है…