डॉ.पल्लवी मिश्रा
महिला सशक्तीकरण एक सार्वभौमिक मुद्दा है, जहां महिला सशक्तिकरण महिलाओं को उनके समान-अधिकार को सुनिश्चित करने, उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं कानूनी पहलुओं को बेहतर रूप देने कि कोशिश करता है वही राष्ट्र कि उन्नति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पुरुष और महिला दोनों का योगदान आवश्यक है |
हाल के वर्षों में, महिलाओं में स्वयं के व्यवसाय शुरु करने कि चाह ने महिला उद्यमियों कि संख्या में वृद्धि की है, जो वास्तव में समाज और स्वयं के लिए एक अच्छी बात है। हालाँकि महिलाओं के पास दशकों से व्यवसाय का स्वामित्व और संचालन है, लेकिन उनके प्रयासों के लिए कभी उन्हें उच्च वर्ग के मान्यता प्राप्त नहीं हुई |
दरअसल अक्सर महिला उद्यमी “अदृश्य” हुआ करती थीं क्योंकि वो व्यवसाय में नेतृत्व ना कर अपने पति का सहयोग मात्र ही किया करती थीं लेकिन हाल के वर्षों में उन महिलाओं ने कई व्यवसायों का नेतृत्व एवं संचालन दोनों ही किया है |
उनके जुनून और दृढ़ संकल्प ने उन्हें चुनौतियों का सामना कर देश में एक मुकाम हासिल कराया | सरकार की नीतियों के माध्यम से महिला उद्यमियों को बेहतर समर्थन देने और उनके विकास में तेजी लाने के लिए उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र बनाए जा रहे हैं |
नई पीढ़ी की महिलाओं ने उद्यमिता के क्षेत्र में भी खुद को मजबूत साबित किया है | राष्ट्रीय महिला व्यापार परिषद कि रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 58% महिला उद्यमियों ने 20-30 की उम्र में अपनी शुरुआत किया और लगभग 57% महिलाओं ने अकेले अपना व्यवसाय शुरू किया है | हालाँकि रिपोर्ट के अनुसार देश में अभी मात्र 14% व्यवसाय महिला उद्यमियों द्वारा चलाए जा रहे हैं | महिला उद्यमियों वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार,
आज लगभग 126 मिलियन महिलाओं का अपना व्यवसाय है और जबकि भारत में 8 मिलियन महिलाएँ अपना स्वयं का व्यवसाय चलाती हैं | महिलाओं ने अपने लीडरशिप गुणों द्वारा साबित किया है कि वो पुरुषों से किसी भी तरह पीछे नहीं है |
देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत मायने रखती है। किसी भी प्रकार के व्यवसाय तथा काम में महिलाओं की भागीदारी उस समाज की स्थिति को स्पष्ट करता है | तथाकथित “ब्रिक्स” देशों का एक सदस्य, भारत अपने तेजी से अर्थव्यवस्था का विस्तार कर रहा है, हाल के दशकों में भारत निश्चित रूप से अधिक समृद्ध हुआ है |
हालाँकि महिलाओं ने देश कि अर्थव्यवस्था में भागीदारी करनी शुरू कर दी है, वर्ष 2012 में स्लाइडशेयर की संस्थापक रश्मि सिन्हा को फास्ट कंपनी द्वारा वेब 2.0 में विश्व की टॉप 10 वोमेन इन्फ्लूएंसर के रूप में नामित किया गया | कई अन्य महिला व्यवसायिओं ने भी इस सूची में अपना नाम दर्ज कराया है और इसी के साथ दुनिया में यह धारणा मजबूत होती जा रही है कि आने वाले समय में महिला उद्यमी भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक जबरदस्त प्रभाव छोड़ने में सफल होगी |
ऐसा देखा जा रहा ही कि महिलाओं द्वारा उद्यमशीलता को अपनाने की प्रवृति बढ़ती रही है। लेकिन अगर इतिहास पर नजर डालें तो भारत में महिलाओं द्वारा पापड़ और अचार को तैयार करके बेचने का चलन बहुत पुराने समय से चला आ रहा है | भारत में व्यापक रूप से प्रशंसित शाहनाज हुसैन है, जो स्वस्थ देखभाल उत्पादों की सबसे बड़ी उपभोक्ता हैं उनका योगदान भी सराहनीय रहा है |
बायोकॉन लिमिटेड के संस्थापक अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक किरण मजुमदार शॉ ने 1978 में बायोकॉन की शुरुआत की और एक औद्योगिक एंजाइम विनिर्माण कंपनी से पूरी तरह से एकीकृत जैव-फार्मास्युटिकल कंपनी के विकास में अपना योगदान दिया | शॉ के नेतृत्व में बायोकॉन डायबिटीज और ऑन्कोलॉजी कि दवाईयों का अनुसन्धान होता है | बायोकॉन कंपनी जेनेरिक सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) बनाती है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के विकसित बाजारों सहित दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में बेची जाती हैं |
सूचि मुख़र्जी ने अंकुश महरा के साथ 2012 में लाईमरॉड नामक कंपनी कि शुरुवात की | लाईमरॉड एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है | यह भारत की पहली महिलाओं की सोशल शॉपिंग वेबसाइट है | सुचि को दुनिया भर में 15 में से 1 महिला व्यवसायी के रूप में चुना गया था|
ऋचा कर आज एक जाना माना नाम है जिसने ऑनलाइन लॉन्जरी स्टोर ज़िवामी की शुरुआत की | जमशेदपुर में पली-बढ़ी और बिट्स पिलानी (2002) से अपनी इंजीनियरिंग के पढ़ाई पूरी कर उन्होंने आईटी उद्योग में काम करने के बाद ज़िवामी.कॉम कि शुरुवात की | देश कि महिला व्यवसायिओं में स्वयं कि एक अलग पहचान बना चुकी प्रिया पॉल उत्कृष्ट महिला व्यवसायी है | उन्होंने आतिथ्य उद्योग में बहुत बहतरीन काम किया है | उन्हें 26 जनवरी 2012 को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है | महिला उद्यमी आज तेजी से आगे स्टार्ट-उप कर रही है साथ ही साथ देश तथा विदेश में एक अलग पहचान बना रही है | महिलाओं ने व्यवसायों के क्षेत्र में भी खुद को साबित किया है कि वो किसी व्यवसाय के नेतृत्व एवं संचालन भी अकेले ही कर सकती है |
राष्ट्रीय महिला व्यापार परिषद के अनुसार नई पीढ़ी की महिलाओं ने सभी बाधाओं को दूर कर उद्यमिता की दुनिया में खुद को परे साबित कर दिया है। महिलाएं अपने क्षेत्रों में बहुत अच्छा स्थान रखती हैं और सफलता के मामले में कई महिला व्यवसायी आइकन के रूप में उभरी हैं।
(लेखिका वनस्थली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं)